राज्यपाल को लेकर सीएम के बयान पर सियासी संग्राम शुरू, एक दूसरे पर हमला बोल रहे नेता
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राज्यपाल को लेकर सीएम के बयान पर सियासी संग्राम शुरू, एक दूसरे पर हमला बोल रहे नेता

झारखण्ड के राज्यपाल रमेश बैस द्वारा 1932 खतियान विधेयक सरकार को लौटा देने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा दिये गए बयान के बाद जहां बीजेपी ने जेएमएम पर निशाना साधा है.

(फाइल फोटो)

रांची: झारखण्ड के राज्यपाल रमेश बैस द्वारा 1932 खतियान विधेयक सरकार को लौटा देने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा दिये गए बयान के बाद जहां बीजेपी ने जेएमएम पर निशाना साधा है. वहीं कांग्रेस ने इसपर पुनः विचार कर विधानसभा में फिर से इस पर मुहर लगाने की बात कही है. 

इस मामले पर हेमंत सोरेन के बयान के बाद सियासत तेज हो गई है. इस पूरे मामले पर आदिवासी संगेल के केंद्रीय अध्यक्ष सरकार को इस मामले में विफल बता रही है. दरसल दुमका व्यवहार न्यायालय में विधानसभा चुनाव 2019 के चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता उल्लंघन मामले में दुमका व्यवहार न्यायालय में पेशी के बाद गोड्डा विधायक अमित मंडल ने कहा कि सीएम हेमंत सोरेन झूठ बोल रहे हैं. सीएम ऐसे तथ्यों के विषय में बात कर रहे हैं जो कभी धरातल पर उतरा ही नहीं है. 

अमित मंडल ने कहा कि विधान सभा में हमने कहा था कि क्या 1932 खतियान लागू हो गया, अगर नहीं लागू हुआ है तो सीएम की खतियान यात्रा किस काम की है. जब भी कोई दल राजनीति से प्रेरित होकर कोई बिल लाता है तो वह जनता के हित में नहीं होता है. बल्कि पार्टी के हित में होता है. वहीं कांग्रेस के पोड़ैयाहाट विधायक प्रदीप यादव ने कहा कि यहां की जनता के लिए गठबंधन की सरकार ने महत्वपूर्ण विधयेक 1932 का खतियान लागू करने के लिए बिल लाई थी. जो यहां के मूल निवासी आदिवासी लोगों के लिए वरदान साबित होने वाला था. जिसे राज्यपाल द्वारा लौटा दिया गया लेकिन सरकार फिर से विधयेक लाकर सभी विधायक से इसपर मुहर लगवाएंगे. जिससे संसद में जाकर इसपर मुहर लगते हुए नौवीं सूची में यह शामिल हो सके. 

आदिवासी संगेल के केंद्रीय अध्यक्ष पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने कहा कि राज्यपाल के द्वारा कुछ सोच समझकर ही विधेयक को लौटाया गया है. सरकार सिर्फ झूनझूना थमाने का काम कर रही है क्योंकि यह सिर्फ राजनीतिक स्टंट है. किसी भी राज्य में खतियान के आधार पर नियोजन नीति नहीं बनी है. 

(Report- SUBIR CHATTERJEE)

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