झारखंड विधानसभा में 81 सीटें हैं तो बहुमत के लिए किसी भी दल या गठबंधन को 42 सीटें चाहिए लेकिन सोमवार को सोरेन के नेतृत्व में गठबंधन ने 48 विधायकों का समर्थन साबित किया.
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रांची: इसे आप सोरेन का सुपर सोमवार कह सकते हैं. झारखंड विधानसभा के अंदर उन्होंने विपक्ष मुक्त भारत बनाने के लिए निकली 'चक्रवर्ती' बीजेपी को बुरी तरह हरा दिया. दरअसल, झारखंड विधानसभा में 81 सीटें हैं तो बहुमत के लिए किसी भी दल या गठबंधन को 42 सीटें चाहिए लेकिन सोमवार को सोरेन के नेतृत्व में गठबंधन ने 48 विधायकों का समर्थन साबित किया.
आत्मविश्वास से भरे दिखे हेमंत सोरेन
कांग्रेस के तीन विधायक निलंबित हैं, नहीं तो ये संख्या 51 होती. चूंकि गठबंधन के पास पहले से ही बहुमत था तो ये बड़ी बात नहीं लगेगी. लेकिन ये क्यों बड़ी बात है, हम आपको समझाने की कोशिश करते हैं. लेकिन उससे पहले आप जरा सदन में हेमंत सोरेन का अंदाज-ए-बयां, उनकी बॉडी लैंग्वेज देखिएगा और आत्मविश्वास शाफ दिख रहा था.
'गृहयुद्ध वाले हालात बना रही बीजेपी'
सोरेन ने बीजेपी को न सिर्फ नंबर गेम में धोया बल्कि बुलबुल से लेकर हाथी वाले बाण चलाए. सीएम हेमंत सोरेन ने आरोप लगाया कि बीजेपी राज्यों में गृहयुद्ध वाले हालात बना रही है. सोरेन ने बीजेपी को ललकारा कि वार करना है तो सामने से करो, छिप कर नहीं.
'सब्जी की तरह विधायक खरीदे जा रहे'
सीएम सोरेन ने आरोप लगाया कि बीजेपी सब्जी की तरह विधायक खरीद रही है. और इसी आरोप में वो वजह छिपी है कि क्यों सोरेन की 48-0 वाली ये जीत बड़ी है.
हेमंत की सदस्यता पर संकट
दरअसल, हेमंत सोरेन की विधायकी पर तलवार लटकी है. चुनाव आयोग ने राज्यपाल को सिफारिश भेज दी है लेकिन राज्यपाल कोई फैसला नहीं कर रहे. गठबंधन आरोप लगा रहा है कि राज्यपाल बीजेपी को हार्सट्रेडिंग का मौका दे रहे हैं. सोरेन को विधायकों के छिटकने का इतना डर है कि वो एक गडेरिए की तरह अपने विधायकों की रखवाली कर रहे हैं.
48-0 से जीते सोरेन
पहले लतरातु डैम ले गए फिर विधायकों को रायपुर शिफ्ट किया. और तो और दो करोड़ में एक चार्टर्ड प्लेन किराए पर लिया. सोरेन की सहयोगी कांग्रेस के तीन विधायक तो कैश के साथ पकड़े गए. खुद कांग्रेस ने आरोप लगाया उनके ये तीन विधायक बीजेपी के साथ मिलकर सरकार गिराने की साजिश में शामिल थे. और इन सबके बीच बीजेपी की महामशिनरी को परास्त करते हुए सोरेन सदन के अंदर अपने लिए 48 विधायकों का समर्थन जुटाने में कामयाब हुए.
एक ऐसी पार्टी जिसकी केंद्रीय सरकार वाली एजेंसियों से विपक्ष के नेता खौफ खाते हों, जिसके पास कथित रूप से एक चाणक्य हो, एक ऐसी पार्टी जिसके पास धन और बल दोनों हों, उसके चक्रव्यूह को तोड़कर 48 का स्कोर निकालना कोई छोटी बात नहीं है.
अब आगे क्या होगा?
अब सवाल है कि आगे क्या होगा? क्या राज्यपाल सोरेन की विधायकी पर फैसला देने के लिए बाध्य होंगे? बीजेपी की तरफ से अगर तख्तापलट की कोशिशें हो रही थीं तो क्या वो कोशिशें अब मंद पड़ेंगी? क्या झारखंड में सियासी सुनामी शांत होगी और सुखाड़ झेल रही जनता पर सियासत की नेमत बरसेगी?