Jharkhand News: हाईकोर्ट ने चीफ सेक्रेटरी से मांगा जवाब, कहा- 61 सौ करोड़ खर्च कर भी क्यों नहीं बना खरकई डैम?
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Jharkhand News: हाईकोर्ट ने चीफ सेक्रेटरी से मांगा जवाब, कहा- 61 सौ करोड़ खर्च कर भी क्यों नहीं बना खरकई डैम?

Jharkhand News: सरकार ने इस प्रोजेक्ट के बारे में अंतिम तौर पर क्या फैसला किया है. कोर्ट ने उन्हें इन सवालों पर शपथ पत्र दाखिल करने को कहा है. सुनवाई के दौरान जल संसाधन विभाग की ओर से शपथ पत्र दाखिल किया गया, जिसमें बताया गया है कि जमीन अधिग्रहण का काम स्थानीय ग्रामीणों के विरोध के कारण रुका हुआ है.

Jharkhand News: हाईकोर्ट ने चीफ सेक्रेटरी से मांगा जवाब, कहा- 61 सौ करोड़ खर्च कर भी क्यों नहीं बना खरकई डैम?

रांची:  झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य के सरायकेला जिले में खरकई डैम प्रोजेक्ट में 6,100 करोड़ खर्च करने के बाद इसे बंद करने पर राज्य के मुख्य सचिव से जवाब मांगा है. मंगलवार को एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पूछा कि इतनी बड़ी राशि खर्च करने के बाद प्रोजेक्ट को बीच में क्यों रोक दिया गया.

जानकारी के लिए बता दें कि सरकार ने इस प्रोजेक्ट के बारे में अंतिम तौर पर क्या फैसला किया है. कोर्ट ने उन्हें इन सवालों पर शपथ पत्र दाखिल करने को कहा है. सुनवाई के दौरान जल संसाधन विभाग की ओर से शपथ पत्र दाखिल किया गया, जिसमें बताया गया है कि जमीन अधिग्रहण का काम स्थानीय ग्रामीणों के विरोध के कारण रुका हुआ है. इस पर कोर्ट ने गहरी नाराजगी जाहिर करते हुए पूछा कि आखिर प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करने के पहले सरकार ने इस मुद्दे पर विचार क्यों नहीं किया. रिपोर्ट अगर जमीन पर जाकर तैयार की गई होती तो जमीन अधिग्रहण पर ग्रामीणों के संभावित विरोध के बारे में इसका जिक्र होना चाहिए था.

कोर्ट ने मौखिक तौर पर कहा कि पूरे मामले की सीबीआई जांच करवा देते हैं. इस मामले की अगली सुनवाई 14 मई को निर्धारित की गई है. इस मामले में संतोष कुमार सोनी की ओर से जनहित याचिका दायर की गई है. इसमें कहा गया है कि खरकई डैम परियोजना एकीकृत बिहार, ओडिशा और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच त्रिपक्षीय समझौते के बाद 1978 में शुरू हुई थी, लेकिन 2020 में राज्य सरकार ने बगैर कारण बताए एक पत्र जारी कर इस प्रोजेक्ट को अचानक बंद कर दिया.

याचिका के मुताबिक प्रोजेक्ट के लिए जमीन अधिग्रहण का काम हो चुका है. विस्थापितों के पुनर्वास के लिए नई जगहों को चिन्हित भी किया जा चुका है. बड़ी राशि खर्च करने के बाद परियोजना को बंद नहीं किया जाना चाहिए.

इनपुट- आईएएनएस

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