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Ranchi: नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने झारखंड में छात्रवृत्ति और पेंशन योजनाओं में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के ऑडिट में करोड़ों रुपये की भारी अनियमितताएं और अवैध हस्तांतरण का पता लगाया है. विधानसभा में बृहस्पतिवार को पेश कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑडिट के दौरान फर्जी लाभार्थियों को 1.17 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति का गलत तरीके से वितरण, मृत व्यक्तियों को पेंशन और पुरुष लाभार्थियों को विधवा पेंशन प्रदान करने के मामले सामने आए.
महालेखाकार (झारखंड) अनूप फ्रांसिस डुंगडुंग ने कहा, 'सामाजिक सुरक्षा और छात्रवृत्ति योजनाओं में डीबीटी के महत्व को ध्यान में रखते हुए नवंबर, 2021 और मई, 2022 के बीच प्रत्यक्ष लाभ अंतरण का प्रदर्शन ऑडिट किया गया. यह ऑडिट 2017 और 2021 की अवधि के लिए था. ऑडिट में भारी वित्तीय अनियमितताएं पाई गईं.'
उन्होंने कहा कि नमूने के तौर पर छह जिलों... चतरा, हजारीबाग, पूर्वी सिंहभूम, गोड्डा, पलामू और रांची...में ऑडिट किये गये. महालेखाकार ने कहा, 'ऑडिट सीमित जिलों में किया गया. यदि सभी जिलों को ध्यान में रखा जाए तो अनियमितताएं बहुत अधिक हो सकती हैं.' अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदायों के लिए छात्रवृत्ति योजनाओं के क्रियान्वयन, सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना और डीबीटी अंतरण के लिए उपयोग किये जाने वाला योजना-विशिष्ट सूचना प्रौद्योगिकी मंच ई-कल्याण झारखंड की प्रभावशीलता का छह जिलों में ऑडिट किया गया.
रिपोर्ट में कहा गया है, 'ऑडिट में फर्जी लाभार्थियों को अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति के गलत तरीके से वितरण के मामलों का पता चला. यह देखा गया कि जांच में शामिल छह जिलों में से चार में, 14 स्कूलों या संस्थानों के 1,482 फर्जी लाभार्थियों को 1.17 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति दी गई.'
कैग के अनुसार, ये संस्थान न तो राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल पर पंजीकृत थे और न ही पोर्टल पर लॉग इन करने के लिए उपयोगकर्ता प्रमाणिकता प्राप्त किए थे. रिपोर्ट के मुताबिक, सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी पेंशन योजना में यह पाया गया कि उन्हें निर्धारित समयसीमा के भीतर अनुमोदित नहीं किया गया था.
कैग ने झारखंड सरकार को सार्वभौमिक और बेहतर तरीके से बजट तैयार करने को लेकर राज्य के सभी पात्र लाभार्थियों का इलेक्ट्रॉनिक तरीके से आंकड़े रखने का सुझाव दिया. इसमें कहा गया है कि सरकार वित्तीय अनियमितताओं का पता लगाने के लिए जांच शुरू कर सकती है और योजनाओं की पर्याप्त निगरानी सुनिश्चित करने को निर्धारित अंतराल पर सामाजिक ऑडिट कर सकती है.
(इनपुट भाषा के साथ)