Hemant Soren: चौथी बार मुख्यमंत्री बनने से पहले दादा की शहादत को नमन करने पहुंचे हेमंत सोरेन
Advertisement
trendingNow0/india/bihar-jharkhand/bihar2533956

Hemant Soren: चौथी बार मुख्यमंत्री बनने से पहले दादा की शहादत को नमन करने पहुंचे हेमंत सोरेन

Hemant Soren: पत्नी कल्पना सोरेन की मौजूदगी में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बुधवार को रामगढ़ का दौरा कर अपने दादाजी स्व. सोबरन मांझी को श्रद्धासुमन अर्पित किया. इस दौरान उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा और शिबू सोरेन के संघर्षों का भी जिक्र किया. 

हेमंत सोरेन ने रामगढ़ में अपने दादाजी को श्रद्धासुमन अर्पित किए

रांची: झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में चौथी बार शपथ लेने के एक दिन पहले हेमंत सोरेन बुधवार को अपने दादा सोबरन सोरेन के शहादत दिवस पर उन्हें नमन करने रामगढ़ जिला अंतर्गत अपने पैतृक गांव नेमरा पहुंचे. हेमंत सोरेन के साथ उनकी पत्नी और गांडेय की विधायक कल्पना सोरेन भी थीं. 

fallback

नेमरा गांव के लुकैयाटांड़ नामक स्थान पर शहीद सोबरन सोरेन की प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद हेमंत सोरेन ने जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि झारखंडियों ने सदियों से शोषण और दमन के खिलाफ संघर्ष किया है. हमारे वीर पुरखों ने हमें हमेशा हक-अधिकार के लिए लड़ने का जज़्बा दिया. ऐसी शहादतें हमें न्याय की लड़ाई पर अडिग रहने की प्रेरणा देती हैं.

fallback

बाद में हेमंत सोरेन ने एक्स पर लिखा, शोषकों के खिलाफ संघर्ष करते हुए भी शिक्षा का अलख जलाते हुए पूज्यनीय दादा सोबरन मांझी जी ने शोषित और वंचित समाज को शिक्षित करने का अपना महाअभियान जारी रखा. वह एक कुशल शिक्षक थे. उनका मानना था कि शिक्षा से ही समाज में क्रांति आ सकती है, एक समृद्ध समाज के लिए शिक्षित होना बहुत जरूरी है. हमारे वीर पुरखों और पूज्यनीय दादाजी के संघर्षों से प्रेरणा लेकर उनके सपनों को पूरा करने का मैं प्रयास कर रहा हूं.

महाजनों और सूदखोरों के खिलाफ आवाज उठाने वाले सोबरन सोरेन की हत्या 27 नवंबर 1957 को उस वक्त कर दी गई थी, जब वह गोला प्रखंड मुख्यालय स्थित स्कूल में छात्रावास में रहकर पढ़ने वाले अपने दो पुत्रों राजाराम सोरेन और शिबू सोरेन के लिए चावल और अन्य सामान पहुंचाने के लिए घर से पैदल निकले थे. 

fallback

पैतृक गांव 'नेमरा' से थोड़ा आगे लुकैयाटांड़ गांव के निकट उनकी हत्या कर दी गई थी. इस घटना के बाद शिबू सोरेन ने सूदखोरी और महाजनी प्रथा के खिलाफ जोरदार आंदोलन शुरू किया था. इस आंदोलन में शिबू सोरेन की एक पुकार पर डुगडुगी बजते ही हजारों लोग तीर-धनुष लेकर इकट्ठा हो जाते थे.

आईएएनएस

Trending news