Zee News ने पहले ही बता दिया था, लालू के पॉलिटिक्स से चमकेगा उपेंद्र कुशवाहा का सितारा
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Zee News ने पहले ही बता दिया था, लालू के पॉलिटिक्स से चमकेगा उपेंद्र कुशवाहा का सितारा

Bihar Politics: बिहार की राजनीति में लालू यादव जिस कुशवाहा कार्ड को खेलकर एनडीए का खेल बिगाड़ने में जुटे हैं. उसकी काट के लिए नीतीश कुमार ने भगवान सिंह कुशवाहा को आगे किया है. इस बीच बिहार में लालू प्रसाद यादव के कुशवाहा कार्ड को काटने के लिए एनडीए की नजर में उपेंद्र कुशवाहा से बेहतर कोई और ऑप्शन नहीं दिखा. इसलिए एनडीए ने उपेंद्र कुशवाहा को राज्यसभा का प्रत्याशी बना दिया.

उपेंद्र कुशवाहा

Bihar Politics: 26 जुलाई, 2024 दिन शुक्रवार रात के 10 बजकर 30 मिनट पर ZEE न्यूज बिहार की राजनीति  से जुड़ी खबर बताई थी, जिसको लेकर बड़े-बड़े सियासी विश्लेषक भी भांप नहीं सके थे. जी हां, ZEE न्यूज ने तभी बता दिया था कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की पॉलिटिक्स से उपेंद्र कुशवाहा का सितारा बिहार की सियासत में फिर चमकेगा. इस ऑर्किटल में एक बार फिर पूरी खबर का सियासी मायने समझिए कि कैसे लालू यादव की कुशवाहा राजनीति ने उपेंद्र कुशवाहा का सितारा बुलंद कर दिया.   

दरअसल, लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी ने 21 जून, 2024 को अभय कुमार सिन्हा उर्फ अभय कुशवाहा को लोकसभा में संसदीय दल का नेता बनाया. इसके बाद फिर 24 जून को नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने भगवान सिंह कुशवाहा को विधान परिषद का उम्मीदवार बना दिया. तब माना जा रहा था कि बिहार की राजनीति में लालू यादव जिस कुशवाहा कार्ड को खेलकर एनडीए का खेल बिगाड़ने में जुटे हैं. उसकी काट के लिए नीतीश कुमार ने भगवान सिंह कुशवाहा को आगे किया है. मगर, तब भी सियासी हलकों में उपेंद्र कुशवाहा की चर्चा तक नहीं थी. माना जा रहा था कि उनकी राजनीति खत्म हो गई है.

दिल्ली से पटना लेकर तक सियासी हलकों में उपेंद्र कुशवाहा के सियासी भविष्य की चर्चा हो रही थी. चर्चा इसलिए क्योंकि अभी आने वाले दिनों में बिहार में राज्यसभा की दो सीटों पर उपचुनाव होना है. दोनों का नोटिफिकेशन अलग-अलग जारी होगा. इस बीच बिहार में लालू प्रसाद यादव के कुशवाहा कार्ड को काटने के लिए एनडीए की नजर में उपेंद्र कुशवाहा से बेहतर कोई और ऑप्शन नहीं दिखा. इसलिए एनडीए ने उपेंद्र कुशवाहा को राज्यसभा का प्रत्याशी बना दिया और उच्च सदन भेजने का फैसला किया.

ध्यान दें कि बिहार में कुशवाहा जाति की आबादी यादवों के बाद सबसे ज्यादा है. पिछड़ी जातियों में कुशवाहा 4 फीसदी के साथ दूसरी सबसे बड़ी जाति है. बीजेपी ने किसी कुशवाहा को लोकसभा में टिकट नहीं दिया था. बिहार से कोई कुशवाहा केंद्र में मंत्री भी नहीं बना है. जबकि, बीजेपी ने कुशवाहा वोटरों को साधने की मंशा से ही सम्राट चौधरी को पहले पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया और फिर सरकार बनी तो डिप्टी सीएम की कुर्सी भी दे दी. 

ऐसे में दोनों सीट एनडीए के खाते में जाएगी. एक सीट विवेक ठाकुर वाली है. दूसरी सीट मीसा भारती की. अब एनडीए में राज्यसभा सीट के लिए लॉबिंग हो रही है. देखिए बीजेपी और जदयू के लिए बिहार में कुशवाहा वोटरों को संदेश देकर साधे रखना जरूरी है. उपेंद्र कुशवाहा किन कारणों से चुनाव हारे ये तो एनडीए की समीक्षा का अंदरूनी मामला है. मगर, इसमें कोई शक नहीं है कि उपेंद्र कुशवाहा अपनी बिरादरी के बड़े नेता बन चुके हैं. साल 2020 के चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा ने अपने दम पर चुनाव लड़ा और 5 हजार से 10 हजार के आसपास वोट हर सीट पर लगभग ले लिया. मतलब साल 2020 में उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी जाति के वोटर को एनडीए से तोड़ दिया था.

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बिहार में कुशवाहा जाति की आबादी यादवों के बाद सबसे ज्यादा है. पिछड़ी जातियों में कुशवाहा 4 फीसदी के साथ दूसरी सबसे बड़ी जाति है. बीजेपी ने किसी कुशवाहा को लोकसभा में टिकट नहीं दिया था. बिहार से कोई कुशवाहा केंद्र में मंत्री भी नहीं बना है. जबकि बीजेपी ने कुशवाहा वोटरों को साधने की मंशा से ही सम्राट चौधरी को पहले पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया और फिर सरकार बनी तो डिप्टी सीएम की कुर्सी भी दे दी. ऐसे में अब अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में कुशवाहा जाति को साधना एनडीए के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गई थी. जिसे भगवान सिंह कुशवाहा को एमएलसी और उपेंद्र कुशवाहा राज्यसभा भेजकर इससे पार पाने की पूरी जुगत में लग गई है.

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