Bihar Politics: 2023 में तेजस्वी बनेंगे प्रदेश के सीएम? 'जगदा' पर जुबानी जंग
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Bihar Politics: 2023 में तेजस्वी बनेंगे प्रदेश के सीएम? 'जगदा' पर जुबानी जंग

Bihar Politics: बिहार में जब से महागठबंधन की सरकार बनी है, एक संशय की स्थिति बनी हुई है. नई सरकार के गठन के समय ये तय हुआ कि नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री होंगे, जबकि तेजस्वी यादव साल 2015 की तरह इस बार भी उप-मुख्यमंत्री का पद संभालेंगे.

Bihar Politics: 2023 में तेजस्वी बनेंगे प्रदेश के सीएम? 'जगदा' पर जुबानी जंग

पटना: Bihar Politics: बिहार में जब से महागठबंधन की सरकार बनी है, एक संशय की स्थिति बनी हुई है. नई सरकार के गठन के समय ये तय हुआ कि नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री होंगे, जबकि तेजस्वी यादव साल 2015 की तरह इस बार भी उप-मुख्यमंत्री का पद संभालेंगे. यानी पुराने फार्मूले पर ही एक बार फिर प्रदेश में महागठबंधन सरकार का गठन हुआ. राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल यूनाइटेड और कांग्रेस ने वामदलों के बाहरी समर्थन से सरकार बनाई. नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली. नई सरकार के बने अभी दो महीने भी पूरे नहीं हुए हैं, लेकिन प्रदेश में इस बात को लेकर कयास लगने लगे हैं कि जल्द ही तेजस्वी यादव सीएम की कुर्सी पर काबिज होंगे.

दरअसल प्रदेश में RJD के नेता रह-रहकर ऐसे बयान दे रहे हैं जिससे सीएम की कुर्सी को लेकर असमंजस के हालात बन रहे हैं. हालिया बयान RJD के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह का सामने आया है. जगदानंद सिंह ने साल 2023 में ही तेजस्वी की ताजपोशी की वकालत कर दी है. उन्होंने यहां तक दावा किया है कि तेजस्वी अगले 30 साल तक मुख्यमंत्री बने रहेंगे. जगदानंद सिंह के इस बयान पर उनके सहयोगी दल JDU ने हमला बोल दिया है.

कुर्सी पर कब्ज़े की लड़ाई, जनादेश की 'चोरी' तक आई

बिहार में हालात ऐसे हो गए हैं, मानो कुर्सी पर कब्जे की लड़ाई चल रही हो. एक तरफ JDU इस बात को लेकर अडिग है कि नीतीश कुमार ही प्रदेश के मुख्यमंत्री रहेंगे. दूसरी तरफ RJD के नेता लगातार इस तरह की बयानबाजी कर रहे हैं, जिससे प्रतीत हो रहा है कि उन्हें तेजस्वी को सीएम बनाने की जल्दी है. हालांकि तेजस्वी यादव कई मौकों पर कहते रहे हैं कि उन्हें सीएम बनने की न तो कोई लालसा है और न हीं इसके लिए वो किसी जल्दबाजी में हैं. लेकिन RJD के नेता शायद इस बात को समझने को तैयार नहीं हैं. लगातार हो रही बयानबाजी बार-बार ऐसे संकेत दे रही है कि गठबंधन में भले ही 'चाचा-भतीजा' की जोड़ी को बेहतरीन बताया जा रहा है, लेकिन कहीं न कहीं खींचतान के हालात बन गए हैं.

RJD के वरिष्ठ नेता, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और लालू प्रसाद यादव के बेहद भरोसेमंद जगदानंद सिंह ने बयान देकर सभी को चौंका दिया है. हालांकि जगदानंद सिंह ने बयान यूं ही नहीं दिया. उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के बयान को ही आगे बढ़ाया. दरअसल पिछले दिनों लालू यादव ने मीडिया के सवालों के जवाब देते हुए कहा था कि उनकी ख्वाहिश है कि तेजस्वी यादव बिहार की कमान संभालें. लालू यादव के इस बयान पर जब जगदा बाबू बोले तो उन्होंने अपनी सोच और ख्वाहिश दोनों जाहिर कर दी.

जगदानंद सिंह ने कहा कि 'तेजस्वी यादव को तो बिहार की जनता ने 2020 के चुनाव में ही मुख्यमंत्री बनने का जनादेश दे दिया था. लेकिन धोखेबाजों ने धोखा और षड्यंत्र कर सत्ता हासिल कर ली और जनादेश की चोरी कर ली. अगर हर विधानसभा क्षेत्र के वोट प्रतिशत को देखें तो RJD का वोट प्रतिशत सभी से बेहतर रहा था. लेकिन साजिश के तहत RJD को और तेजस्वी यादव को सत्ता से दूर कर दिया गया.' जगदानंद सिंह ने अपने बयान से इशारों में JDU को धोखेबाज और चालबाजी से सत्ता हासिल करने वाली पार्टी बता दिया.

जगदानंद सिंह इतने पर भी नहीं रुके. उन्होंने आगे कहा कि 'आज ही नहीं बल्कि अगले 30 साल तक तेजस्वी यादव बिहार के मुख्यमंत्री का पद संभालेंगे और बिहार को विकास की राह पर आगे लेकर जाएंगे. बिहार का हर व्यक्ति, चाहे वो अमीर हो या गरीब हो, अल्पसंख्यक हो या बहुसंख्यक, सभी चाहते हैं कि कोई ऐसा व्यक्ति कमान संभाले जिसमें एक तेज हो और बिहार को सही दिशा में लेकर जाने की सोच हो. ये काम सिर्फ तेजस्वी यादव ही कर सकते हैं.' मतलब साफ है कि जगदानंद सिंह ने नीतीश कुमार की सोच और क्षमता पर भी प्रश्नचिन्ह लगा दिया.

उन्होंने अपनी ख्वाहिश भी जाहिर कर दी कि 'मैं चाहता हूं कि तेजस्वी यादव 2023 में ही सीएम की कुर्सी संभाल लें'.

RJD प्रदेश अध्यक्ष के बयान पर JDU भड़की, खूब चलाए ज़ुबानी 'तीर'

जगदानंद सिंह के इस बयान पर बिहार में मानो सियासी तूफान आ गया. विरोधियों से पहले तो सहयोगी JDU ही आग बबूला हो गई. JDU की तरफ से पार्टी के संसदीय बोर्ड के चेयरमैन उपेन्द्र कुशवाहा ने पहला बयान दिया. उन्होंने कहा कि 'जगदानंद सिंह शायद कुछ ज्यादा ही जल्दी में हैं. वो जल्दबाजी के चक्कर में कुछ ज्यादा आगे बढ़ जाते हैं. जिस बात की दूर-दूर तक कोई चर्चा भी नहीं है, उसके लिए जगदानंद सिंह की बेचैनी समझ से परे है. वो एक ऐसे पिता की तरह बर्ताव कर रहे हैं, जो अपने बेटे की शादी जल्द से जल्द निपटाने के चक्कर में लगा रहता है. उसे बस ये चिंता होती है कि कैसे भी जल्दी से शादी कर दी जाए.' उपेन्द्र कुशवाहा ने ये बयान मीडिया में देने के साथ-साथ सोशल मीडिया पर भी लिख डाला.

जब पार्टी के संसदीय बोर्ड के चेयरमैन का बयान आया तो फिर बाकी नेता चुप कैसे बैठते. इसके बाद तो JDU के नेता से लेकर प्रवक्ता तक सभी ने मोर्चा खोल दिया. सोशल मीडिया पर ये तक लिखा गया कि 'जगदानंद सिंह एक ऐसे नेता हैं जो फालतू बातें बहुत करते हैं. उनको बिना सिर-पैर की बात करने की आदत है.'

महागठबंधन में गांठ भारी, ताजपोशी की 'तेज' तैयारी!

बिहार में सीएम की कुर्सी को लेकर जो जुबानी जंग चल रही है, वो अचानक से शुरू नहीं हुई है. सरकार के गठन के साथ ही इसकी शुरुआत हो गई थी. सरकार में RJD कोटे से कृषि मंत्री बने सुधाकर सिंह ने सबसे पहले विवादों को जन्म दिया. उन्होंने नीतीश कुमार की सरकार के कृषि रोडमैप को कटघरे में खड़ा किया और पुराने मंडी कानून को फिर से लागू करने का ऐलान कर सीएम की सोच पर सवाल खड़े कर दिए. सुधाकर सिंह ने एक सभा में कृषि विभाग के साथ-साथ प्रदेश के अधिकारियों को चोर करार दिया. फिर तो ये बात कैबिनेट की बैठक तक पहुंच गई. वहीं जब सीएम ने सुधाकर सिंह से इस बारे में बात करने की कोशिश की, तो सुधाकर सिंह हत्थे से उखड़ गए और इस्तीफे तक की धमकी दे डाली. यहां तक कि सुधाकर सिंह कैबिनेट की बैठक से उठकर बाहर चले गए.

सुधाकर सिंह के इस रवैये के बाद भी RJD के नेताओं ने इस पर चुप्पी साध ली. तभी से ये कयास लगाए जाने लगे कि अब नीतीश कुमार पर रोजाना हमला होगा और RJD का सरकार में पूरा दबदबा होगा. आपको ये भी बता दें कि सुधाकर सिंह RJD प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे हैं.

सुधाकर सिंह के बाद विवाद आगे बढ़ा तो मोर्चा RJD के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने संभाला. मौका था RJD राज्य परिषद की बैठक का, और मंच से शिवानंद तिवारी अपनी बात कह रहे थे. उन्होंने लालू प्रसाद यादव, तेजस्वी यादव की मौजूदगी में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सीधा संदेश दे दिया. शिवानंद तिवारी ने कहा कि 'नीतीश कुमार बहुत पहले मुझसे कहा करते थे कि राजनीति छोड़कर एक आश्रम खोलूंगा. उस आश्रम में उन्होंने राजनीतिक कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने की बात कही थी. मैं नीतीश जी से कहना चाहूंगा कि उस बात पर अमल करने का वक्त आ गया है. अब तेजस्वी यादव को सीएम की कुर्सी सौंप दीजिए और आश्रम खोलिए. मैं भी उस आश्रम में आऊंगा और आपके साथ मिलकर युवाओं को राजनीति के गुर सिखाऊंगा.'

शिवानंद तिवारी के इस बयान पर भी JDU ने ऐतराज़ जताया और खूब हो-हल्ला मचा. लेकिन सुधाकर सिंह की ही तरह शिवानंद तिवारी को भी RJD नेतृत्व की तरफ से किसी तरह की कोई हिदायत नहीं दी गई. इससे ये संदेश लोगों में जाने लगा कि नीतीश कुमार दबाव में हैं और इसका पूरा फायदा RJD उठा रही है.

महागठबंधन सरकार बनने के बाद पिछले 50 दिनों में जो कुछ भी घटनाक्रम हुए हैं, उससे सरकार में खुद को ताकतवर और सहयोगी दल को कमजोर साबित करने की होड़ दिख रही है. अगर बयानबाजी पर जल्द ही सभी दलों ने कंट्रोल नहीं किया तो संशय वाली स्थिति ही बनी रहेगी. और किसी भी प्रदेश में नेतृत्व को लेकर किसी तरह के संशय या असमंजस की स्थिति अच्छी नहीं होती. महागठबंधन के शीर्ष नेताओं को इस पर गंभीरता से सोचने की जरूरत है.

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