तेजस्वी VS नित्यानंद: बिहार में आरजेडी के वोट बैंक को हड़पने के लिए बीजेपी ने बिछाया ये जाल
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तेजस्वी VS नित्यानंद: बिहार में आरजेडी के वोट बैंक को हड़पने के लिए बीजेपी ने बिछाया ये जाल

तेजस्वी के बयान को नित्यानंद से जोड़कर देखा जा रहा है. इसके बाद बीजेपी ने भी तेजस्वी पर निशाना साधा. बीजेपी सांसद रविशंकर प्रसाद ने कहा कि चारा घोटाला में हम ही वकील थे, जल्दी सब पता चलेगा. 

तेजस्वी के बयान को नित्यानंद से जोड़कर देखा जा रहा है.

पटना: बिहार की सियासत इन दिनों तेजस्वी यादव बनाम नित्यानंद राय हो गई. दोनों नेताओं के बीच की तल्खी अब खुलकर सामने आ गई है. शुरुआत तेजस्वी यादव ने की तो नित्यानंद राय ने भी पलटवार किया. केंद्रीय गृह राज्यमंत्री ने कहा कि मैं मुख्यमंत्री पद का दावेदार कभी नहीं रहा, जो सबसे ज्यादा भैंस का दूध दुहेगा वह जीतेगा, जो हारेगा वह खुद ठंडा हो जाएगा.

कहां से आई ठंडा करने वाली बात?
बता दें कि, गुरुवार को तेजस्वी यादव ने बिना किसी का नाम लिए कहा था कि, 'एक केंद्रीय मंत्री जिनका सीएम बनने का सपना टूटा है, यहां-वहां कर रहे हैं, वो लाइन पर आ जाएं नहीं तो ठंडा कर देंगे. वो बिहार में महाराष्ट्र वाला खेला करना चाह रहे थे, वो ज्यादा ख्वाब न देखें. दिल्ली वाले बचाएंगे नहीं, जो लोग खेला करना चाहते हैं उन्हें इतनी समझ होनी चाहिए कि ये बिहार है.'

तेजस्वी के बयान को नित्यानंद से जोड़कर देखा जा रहा है. इसके बाद बीजेपी ने भी तेजस्वी पर निशाना साधा. बीजेपी सांसद रविशंकर प्रसाद ने कहा कि चारा घोटाला में हम ही वकील थे, जल्दी सब पता चलेगा. 

यहां गौर वाली बात ये है कि आखिरी नित्यानंद राय ने दूध वाला बयान क्यों दिया. जानकारों की मानें तो बिहार में यादव वोट बैंक राजद का कोर वोटर माना जाता है. बीजेपी 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव से ही नित्यानंद राय को यादव चेहरे के रूप में प्रोजेक्ट कर रही है. बीजेपी ने राय को बिहार भाजपा का अध्यक्ष भी बनाया था और 2019 से केंद्र में मंत्री. इससे पहले वह उजियारपुर सीट से चार विधायक और हाजीपुर से दूसरी बार सांसद बने हैं. बीजेपी की नजर राज्य के 14 फीसदी यादव वोटर्स (मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक) पर है.

कैसे शुरू हुआ विवाद?
दरअसल, दोनों के बीच का विवाद राष्ट्रपति चुनाव के समय शुरू हुआ था. तेजस्वी यादव ने द्रौपदी मुर्मू को लेकर कहा था कि हमें राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति को बैठाना है, मूर्ति नहीं बैठानी है. इस पर केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने कहा था कि तेजस्वी यादव ने अपने बयानों से द्रौपदी मुर्मू के संघर्षों का अपमान किया है. तेजस्वी यादव को देशभर के गरीबों, महिलाओं और जनजातीय समाज से बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए.

'राजद में आना चाहते थे नित्यानंद राय'
इसके बाद तेजस्वी ने कहा कि केंद्र में मंत्री बनने से पहले नित्यानंद राय ने उनके पास आकर कहा था कि उनका बीजेपी में मन नहीं लग रहा है और वो आरजेडी में आना चाहते हैं. लेकिन अब मंत्री बनने पर बड़े बयान दे रहे हैं. हालांकि, बाद में नित्यानंद राय ने तेजस्वी के बयान को गलत बताया था. जबकि संजय जायसवाल ने तेजस्वी को लेकर बड़ा दावा किया था.

संजय जायसवाल ने कहा था कि तेजस्वी केंद्र और राज्य में बीजेपी को समर्थन देने को तैयार थे. इसके बदले वह (तेजस्वी) चाहते थे कि भ्रष्टाचार मामले में उनके परिवार को मुक्त कर दिया जाए. अब देखना ये है कि बिहार की सियासत में इन दो दिग्गज नेताओं की तकरार क्या रंग दिखाती है और बीजेपी को इससे क्या फायदा होता है?

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