One Nation One Election: क्या बिहार विधानसभा चुनाव फंस जाएगा, 25 में वोटिंग होगी या सीधे 29 में मतदान?
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One Nation One Election: क्या बिहार विधानसभा चुनाव फंस जाएगा, 25 में वोटिंग होगी या सीधे 29 में मतदान?

Bihar Politics: पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने सुझाव दिया कि सभी राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल अगले लोकसभा चुनाव यानी 2029 तक बढ़ाया जाए. इससे जिन राज्यों में चुनाव होना है, उन पर असर पड़ेगा.

बिहार विधानसभा चुनाव (फाइल फोटो)

One Nation One Election: बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. चुनावों को लेकर सियासी सरगर्मियां भी शुरू हो जाएंगी. इस बीच एक बार फिर से 'वन नेशन-वन इलेक्शन' की चर्चा शुरू हो गई है. जानकारी के मुताबिक, 'वन नेशन-वन इलेक्शन' से जुड़ा प्रस्ताव मोदी कैबिनेट से पास हो गया है और संसद में इसे शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा. पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में कमेटी ने जो सुझाव दिए गए हैं उससे बिहार विधानसभा चुनाव पर भी संसय दिख रहा है. दरअसल, समिति ने सुझाव दिया कि सभी राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल अगले लोकसभा चुनाव यानी 2029 तक बढ़ाया जाए. बिहार विधानसभा का कार्यकाल 2025 में समाप्त हो रहा है, लेकिन ये नियम लागू हो गया तो फिर विधानसभा का कार्यकाल भी 2029 तक बढ़ा दिया जाएगा. ऐसी स्थिति में 2029 में लोकसभा चुनाव के साथ ही बिहार विधानसभा चुनाव कराया जाएगा.

ऐसे में अब सियासी गलियारों में अटकलों का दौर शुरू हो गया है. कोई कह रहा है कि 2025 में वोट डालने का मौका मिलेगा, तो किसी को सीधे 2029 में ही इलेक्शन नजर आ रहा है. कोविंद कमेटी की रिपोर्ट में सभी राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल 2029 तक बढ़ाने का प्रस्ताव है. इसके अलावा पहले फेज में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं. दूसरे फेज में 100 दिनों के अंदर निकाय चुनाव कराए जा सकते हैं. वहीं हंग असेंबली, नो कॉन्फिडेंस मोशन होने पर बाकी 5 साल के कार्यकाल के लिए नए सिरे से चुनाव कराए जा सकते हैं. उदाहरण के लिए- अगर किसी कारण से 2 साल बाद सरकार गिर जाए तो मध्यावधि चुनाव में सरकार सिर्फ 3 साल के लिए चुनी जाएगी. 

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बिहार के तीन दल जेडीयू, एलजेपी (आर) और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (एस) ने पहले ही 'वन नेशन-वन इलेक्शन' का समर्थन किया है. इन सभी का कहना है कि देश के विकास के लिए वन नेशन-वन इलेक्शन बहुत जरूरी है. सरकार का मानना है कि देश में आधे से ज्यादा समय तक आदर्श आचार संहिता लगी रहती है, जिसका विकास कार्यों पर असर पड़ता है. वहीं आरजेडी ने इसका खुलकर विरोध किया है. आरजेडी के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने कहा कि इस देश में वन नेशन वन इलेक्शन था, मोदी जी कोई नायाब हीरा नहीं ला रहे हैं. 1962 के बाद वह क्यों हटा, क्योंकि एकल पार्टी का प्रभुत्व खत्म होने लगा था. मनोज झा ने कहा कि ये (बीजेपी) लोग ध्यान भटकाने में माहिर हो गए हैं कि कैसे मौलिक चीजों से ध्यान हटाया जाए. उन्होंने कहा कि आज देश को रोजगार चाहिए. क्या वन नेशन वन इलेक्शन रोजगार की करोड़ों संभावनाएं बना देगा? आप खत्म हो जाएंगे, लेकिन विविधता बरकरार रहेगी.

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