Lok Sabha Election 2024 Buxar Seat: बक्सर में जिसने साधा सामाजिक समीकरण उसी के सिर सजा जीत का सेहरा
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Lok Sabha Election 2024 Buxar Seat: बक्सर में जिसने साधा सामाजिक समीकरण उसी के सिर सजा जीत का सेहरा

रामायण में ताड़का वध के लिए मशहूर बक्सर को कौन नहीं जानता है. यहीं हुमांयू और शेरशाह के बीच चौसा का युद्ध, शुजाउद्दौला और अंग्रेजों की लड़ाई, शाह आलम और मीर कासिम के बीच कतकौली की लड़ाई इस सीट की समृद्ध ऐतिहासिक विरासत को दर्शाती है.

(फाइल फोटो)

Lok Sabha Election 2024 Buxar Seat: रामायण में ताड़का वध के लिए मशहूर बक्सर को कौन नहीं जानता है. यहीं हुमांयू और शेरशाह के बीच चौसा का युद्ध, शुजाउद्दौला और अंग्रेजों की लड़ाई, शाह आलम और मीर कासिम के बीच कतकौली की लड़ाई इस सीट की समृद्ध ऐतिहासिक विरासत को दर्शाती है. ऐसे में यहां की राजनीतिक लड़ाई भी बेहद दिलचस्प रही है. 

यहां से राजनीति के दो दिग्गज और दोनों बाबा के नाम से मशहूर भाजपा के अश्विनी चौबे और राजद के जगदानंद सिंह लगातार 2014 और 2019 में आमने-सामने रहे और दोनों बार चौबे बाबा ने बिजुरिया बाबा को शिकस्त दी. यहां के लोग राजनीति को लेकर कितन सजग हैं इसका उदाहरण इस बात से मिलता है कि यहां के चौक चौराहे और गली मुहल्ले में आपको राजनीति की चर्चा आम होती दिखेगी. यहां के युवा देशभक्त कहे जाएं तो कम नहीं होगा क्योंकि बक्सर से बड़ी संख्या में युवा फौज में मिल जाएंगे. 

बक्सर ब्राह्मण बाहुल्य लोकसभा सीट है. जबकि इसके बाद यादव वोटरों की संख्या सबसे ज्यादा है. इसके बाद नंबर राजपूतों और भूमिहारों का आता है. हालांकि अश्विनी चौबे को लेकर बता दें कि वह भागलपुर से भी सांसद रह चुके हैं और यहां की जनता एक समय यह भी मानने लगी थी कि यहां से ज्यादा चौबे बाबा को भागलपुर का मोह रहा है. 

बक्सर की सीट पर ब्राह्मण वोटरों की संख्या 4 लाख से ज्यादा है यादव 3.5 लाख के करीब हैं राजपूत भी 3 लाख और भूमिहार 2.5 के करीब हैं. जबकि यहां 1.5 लाख के करीब मुसलमानों की भी आबादी है. बाकि कुशवाहा, कुर्मी, वैश्य, दलित और अन्य जातियां भी बड़ी तादाद में हैं. 6 विधानसभा सीटों बक्सर, ब्रह्मपुर, डुमरांव, राजपुर, दिनारा और रामगढ़ को मिलाकर इस लोकसभा सीट का गठन किया गया है.  

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यही बक्सर लोकसभी सीट है जिसे पूर्वांचल के रास्ते खुलने वाला यूपी में बिहार का द्वार कहा जाता है. भोजपुरी भाषी इस इलाके में यूपी से सटे होने के कारण उसका प्रभाव खूब देखने को मिलता है. यहां के बारे में तो यह भी कहा जाता है कि राम-लक्ष्मण की शुरुआती पढ़ाई यहीं गुरु विश्वामित्र के आश्रम में हुई थी. यहां के पहले चुनाव में यहां की जनता ने निर्दलीय उम्मीदवार को चुना था. इस सीट पर कांग्रेस ने भी लंबा कब्जा रखा. इसके बाद भाजपा ने इस सीट पर लंबे समय तक कब्जा जमाए रखा. फिर यह सीट राजद ने छीन ली लेकिन 2014 में मोदी लहर में यह सीट भाजपा के हिस्से में गई और तब से लेकर अब तक यह सीट भाजपा के पास ही है. बक्सर लोकसभा सीट में 4 विधानसभा सीट बक्सर जिले के और एक एक विधानसभा सीट रोहतास और कैमूर जिले के आते हैं. 

 

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