जेल जाने वाले नेताओं में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी शामिल हैं. नीतीश उस वक्त छात्र नेता थे और जेपी आंदोलन का हिस्सा थे. आंदोलन खत्म होने के बाद नीतीश एक बड़े राजनेता बनकर उभरे.
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Emergency Special: 25 जून 1975, भारतीय इतिहास में हमेशा काला दिन के रूप में याद किया जाता रहेगा. 25 जून 1975 की आधी रात को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लागू कर दिया था और यह 21 महीनों तक चला था. कहते हैं कि इंदिरा ने ये फैसला कैबिनेट की मर्जी के बिना लिया था. इंदिरा के एक फैसले ने जनता के सारे अधिकार छीन लिए थे. जिस कारण से इसे आजाद भारत का सबसे विवादास्पद दौर भी माना जाता है.
रातों-रात मीडिया पर सेंसरशिप लग गई थी, अटल और आडवाणी सरीखे विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया था. जेल जाने वाले नेताओं में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी शामिल हैं. नीतीश उस वक्त छात्र नेता थे और जेपी आंदोलन का हिस्सा थे. आंदोलन खत्म होने के बाद नीतीश एक बड़े राजनेता बनकर उभरे. नीतीश कुमार आज भी आपातकाल के उस दौर को याद करके सिहर जाते हैं.
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इमरजेंसी के दौरान देश के तमाम बड़े नेताओं के साथ-साथ नीतीश कुमार के सिर पर भी ईनाम रखा गया था. उन्हें जब गिरफ्तार किया गया था, तो गिरफ्तार करने वाले पुलिसवालों को ईनाम की राशि दी गई थी. इमरजेंसी के दौरान 9 जून 1976 की रात को नीतीश कुमार को गिरफ्तार किया गया था. उन्हें भोजपुर जिले के संदेश थाना के दुबौली गांव से गिरफ्तार किया गया था. उनकी गिरफ्तारी पर 15 पुलिस पदाधिकारियों तथा सिपाहियों को 2750 रुपये का इनाम मिला था. भोजपुर के तत्कालीन डीएम के झा ने अपनी रिपोर्ट में भी नीतीश कुमार की गिरफ्तारी का जिक्र किया है.
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भोजपुर के तत्कालीन डीएम के झा तथा एसपी वाई एन श्रीवास्तव ने अपनी संयुक्त रिपोर्ट (62/75) में उच्चाधिकारियों को पत्र भेजते हुए कहा कि एक गुप्त सूचना मिली है कि पटना और भोजपुर के कुछ आंदोलनकारी दुबौली गांव में एक बैठक करने जा रहे हैं. नीतीश कुमार की गिरफ्तारी के लिए 20 सिपाहियों को सादे लिबास में भेजा गया था. कहते हैं कि नीतीश कुमार की कनपटी पर बंदूक सटाकर उन्हें हथकड़ी लगाई थी. 2019 में नीतीश कुमार ने खुद इस बात को बताया था. नीतीश कुमार के साथ गिरफ्तार किए गए 19 आंदोलनकारियों में पीरो के गांधी कहे जाने वाले नेता राम एकवाल वारसी भी शामिल थे.