Congress President Election 2022: Mallikarjun Kharge की कांग्रेस या गांधी परिवार के मल्लिकार्जुन खड़गे?
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Congress President Election 2022: Mallikarjun Kharge की कांग्रेस या गांधी परिवार के मल्लिकार्जुन खड़गे?

Congress President Election 2022: इस चुनाव की जरूरत पड़ने की एक वजह ये रही कि पार्टी में लोकतंत्र है, ये पार्टी के बागियों और दुनिया को दिखाना चाहिए.

 

सोनिया गांधी ने मल्लिकार्जुन खड़गे को बधाई दी.

पटना: Congress President Election 2022: मल्लिकार्जुन खड़गे को 7000 से ज्यादा वोट मिले, वहीं शशि थरूर को 1000 से ज्यादा वोट मिले. इस चुनाव के क्या मायने हैं इसे बिंदुवार समझते हैं. पहली बात ये है चूंकि खड़गे को गांधी परिवार समर्थित उम्मीदवार माना जा रहा था इसलिए क्या थरूर को पड़े वोट राहुल गांधी और सोनिया गांधी के खिलाफ माना जाए?

इस चुनाव की जरूरत पड़ने की एक वजह ये रही कि पार्टी में लोकतंत्र है, ये पार्टी के बागियों और दुनिया को दिखाना चाहिए. लेकिन जिस तरह से चुनाव के दौरान गड़बड़ियों की शिकायत आई, खासकर यूपी में, उससे इस मकसद को आघात पहुंचा है.

खड़गे गांधी परिवार के वफादार
सबसे सवाल ये है कि क्या अब पार्टी पर परिवार की पकड़ ढीली पड़ जाएगी? जवाब बहुत पेचीदा है. ये सही है कि G23 की 'बगावत' और विपक्ष के हमलों के बीच आलाकमान ने गैर गांधी परिवार से किसी को अध्यक्ष बनाने की कवायद शुरू की. लेकिन सब जानते हैं कि खड़गे गांधी परिवार के पक्के वफादार हैं. 

खड़गे को कितनी मिलेगी आजादी?
वफादारी की कसौटी पर वो खरे उतरे हैं. मेहनत और मौके के बाद भी उन्हें कर्नाटक का सीएम नहीं बनाया गया, लेकिन हर बार उन्होंने सिर झुकाकर आलाकमान की फरमान को माना और अपना काम करते रहे. उन्हें काम करने की कितनी आजादी मिलेगी, अभी कह नहीं सकते, लेकिन ये चूंकि आलाकमान को उनपर भरोसा है तो शायद उन्हें आजादी मिले.

2024 खड़गे के लिए बड़ी चुनौती?
वैसे ये आजादी मिले तो कांग्रेस के लिए ही अच्छा है. कांग्रेस और गांधी परिवार अपने नए सेनापति को कितनी आजादी देती है, इसी पर निर्भर करेगा कि 2024 के समर में कांग्रेस की सेना क्या कर पाती है.

खड़गे के इतिहास के कारण विपक्ष कांग्रेस पार्टी को परिवार की जागीर बताता रहेगा, लेकिन अगर कांग्रेस के अंदर से ही ये आवाज उठी कि खड़गे रबर स्टाम्प हैं, तो फिर बीजेपी के बड़े नेता मुखर होंगे. 

कांग्रेस को कितना मिलेगा फायदा?
लेकिन फिलहाल थरूर और खड़गे में तुलना की जाए तो खड़गे हमेशा बेहतर विकल्प नजर आते हैं. दलित नेता हैं, तो दलितों को संदेश जाता है. साउथ से हैं, जहां पार्टी के लिए उम्मीदें बची हैं तो वहां के वोटर को संदेश है. हिंदी बोलते हैं तो हिंदी बेल्ट वाले सौतेले बर्ताव की शिकायत नहीं करेंगे. बेदाग हैं तो विपक्ष को मौका नहीं मिलेगा. किसी विवाद में नहीं पड़ते तो अपने मुख्य काम पर फोकस कर पाएंगे. ऐसे शख्स हैं जिनके विपक्ष से भी अच्छे रिश्ते हैं, तो तकरार कम होगी.

कांग्रेस के पतन को रोकने के लिए जरूरी
एक सवाल ये भी है कि क्या कांग्रेस अध्यक्ष के लेवल पर लोकतांत्रिक कवायद को पार्टी निचले स्तर पर ले जाएगी? क्या जिला स्तर पर मनोनयन की परिपार्टी को छोड़कर पार्टी चयन की प्रक्रिया अपनाएगी. ये करना इसलिए जरूरी नहीं है कि विपक्ष के हमले बंद हों, बल्कि इसकी जरूरत पार्टी के पतन को रोकने के लिए जरूरी है.

इतना सब कहने के बाद एक बात जरूर कहनी होगी, कि कांग्रेस कई कदम आगे जरूर बढ़ी है. अगर ये पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र का दिखावा ही है तो राजनीति में दिखावे और प्रतीकों का बहुत महत्व है. 

कांग्रेस पर हमला बोलने वाली पार्टियों को अपने गिरेबान में भी झांकना चाहिए. क्या उनके अंदर दिखावे का भी लोकतंत्र है? अभी हाल ही में सत्तारूढ़ पार्टी को नया अध्यक्ष मिला है. 

कैसे चुने गए अध्यक्ष?
यूपी में विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी को नया अध्यक्ष मिला है. ये अध्यक्ष कैसे चुने गए? चयन हुआ या आलाकमान के मन पर मनोनयन हुआ..क्या कोई जानता है? भारत की किस पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र है? कोई बता सकता है?

इधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी नए अध्यक्ष को बधाई दी. उन्होंने लिखा, 'मल्लिकार्जुन खड़गे को कांग्रेस के नए अध्यक्ष के रूप में जिम्मेदारी मिलने पर मेरी शुभकामनाएं. उनका आगे का कार्यकाल लाभकारी हो.'

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