बिहार में राजद और जदयू की इफ्तार पार्टी के इतने दिनों बाद कांग्रेस पार्टी ने इसका आयोजन किया. कांग्रेस की ओर से बुधवार (19 अप्रैल) को इफ्तार पार्टी का आयोजन किया था, जबकि नीतीश और तेजस्वी हफ्तों पहले इसका आयोजन कर लिया था.
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Bihar Politics: बिहार में लगता है कांग्रेस पार्टी ने राजद और जदयू के पीछे ही चलने का मन बना लिया है. हम ये बात ऐसे ही नहीं कर रहे हैं, बल्कि कांग्रेस पार्टी के रवैये से ऐसा साफ जाहिर होता है. बिहार में राजद और जदयू की इफ्तार पार्टी के इतने दिनों बाद कांग्रेस पार्टी ने इसका आयोजन किया. कांग्रेस की ओर से बुधवार (19 अप्रैल) को इफ्तार पार्टी का आयोजन किया था, जबकि नीतीश और तेजस्वी हफ्तों पहले इसका आयोजन कर लिया था.
इफ्तार दावत का आयोजन भले ही कांग्रेस पार्टी की ओर से किया गया हो, लेकिन सबका ध्यान नीतीश और तेजस्वी पर था. यह दावत कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डा. अखिलेश प्रसाद सिंह के नेतृत्व में हुई थी. इसमें नीतीश-तेजस्वी के अलावा विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी मौजूद रहे. इनके अलावा मंत्री विजय चौधरी, आलोक मेहता, लेशी सिंह भी शामिल हुए.
राष्ट्रीय लेवल पर भी किया सरेंडर
प्रदेश लेवल पर ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय लेवल पर भी कांग्रेस पार्टी ने नीतीश कुमार के सामने सरेंडर कर दिया है. राष्ट्रीय पार्टी होने के बावजूद कांग्रेस अब अगले लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार के पीछे चलेगी. दिल्ली में इसकी डील फाइनल हो चुकी है. तभी तो नीतीश कुमार को यूपीए का नया संयोजक बनाने की चर्चा हो रही है. इससे पहले ये जिम्मेदारी कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी उठा रही थीं.
खत्म नहीं हुई नीतीश की चुनौती
कांग्रेस के साथ आने के बाद भी माना जा रहा है कि नीतीश कुमार की चुनौती अभी तक खत्म नहीं हुई है. विपक्ष में अब भी कई ऐसे नेता हैं, जो तीसरे मोर्चे के गठन की बात कर रहे हैं. इनमें एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी का नाम शामिल है. तेलंगाना के सीएम केसीआर खुद भी पीएम पद की रेस मे हैं. यूपी में बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं. मुसलमानों के बड़े नेता यानी AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का रुख क्या होगा, इसपर भी सभी की निगाहें टिकी हैं.