प्रसव पीड़ा के बाद अस्पताल पहुंची महिला, देर शाम तक ना डॉक्टर मिले ना स्वास्थ्य कर्मी, दाई से कराई जांच
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प्रसव पीड़ा के बाद अस्पताल पहुंची महिला, देर शाम तक ना डॉक्टर मिले ना स्वास्थ्य कर्मी, दाई से कराई जांच

प्रसव पीड़ा की वजह से गर्भवती सही ढंग से न तो लेट सकती थी और न खड़ी हो सकती थी. बहरहाल निजी क्लीनिक में महिला का प्रसव हो गया है, लेकिन इस वाकिये ने एक बार फिर पूरे स्वास्थ्य सिस्टम पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं.

प्रसव पीड़ा के बाद अस्पताल पहुंची महिला, देर शाम तक ना डॉक्टर मिले ना स्वास्थ्य कर्मी, दाई से कराई जांच

सुपौल: सुपौल के त्रिवेणीगंज में अनुमंडलीय अस्पताल त्रिवेणीगंज से लेकर अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र तक की स्थिति काफी चरमराई हुई है. ताजा मामला अनुमंडल मुख्यालय से 13 किलोमीटर दूर बाजितपुर स्थित अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र से जुड़ा है. जहां शनिवार को दिन के 11 बजे थाना क्षेत्र के गोनहा से जगदीश सादा अपनी 22 वर्षीय पोती प्रियंका देवी को प्रसव पीड़ा होने पर परिजनों के साथ अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र बाजितपुर पहुंचे. देर शाम तक न तो यहां कोई डॉक्टर मिले और न ही कोई नर्स. जिसके बाद देर शाम तक प्रसव पीड़ा से कराहती प्रियंका को यह महादलित परिवार रात में एक निजी क्लीनिक ले गया. इससे पहले अस्पताल से सभी स्वास्थ्यकर्मी नदारद थे.

परिजनों की मानें तो डॉक्टर व नर्स के अस्पताल में नहीं रहने पर दर्द से कराह रही इस गर्भवती महिला को गांव की ही एक दाई ने आकर जांच किया. दाई ने जांच के बाद परिजनों को बताया कि शाम तक डिलीवरी हो जाएगी. हालांकि प्रसव पीड़ा की वजह से गर्भवती सही ढंग से न तो लेट सकती थी और न खड़ी हो सकती थी. बहरहाल निजी क्लीनिक में महिला का प्रसव हो गया है, लेकिन इस वाकिये ने एक बार फिर पूरे स्वास्थ्य सिस्टम पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं. सवाल यह भी है कि अगर इस प्रसूता या उसके गर्भ में पल रहे बच्चे को कुछ हो जाता इसकी जवाबदेही किसकी होती.

इधर, स्थानीय ग्रामीणों से ने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वर्ष 2012 में यहां के 4 पंचायत के लोगों को स्वास्थ्य सुविधा गांव में ही मुहैया कराने के उद्देश्य से इस अस्पताल की नींव रखी थी. वहीं कोविड-19 के दौरान वर्ष 2020 में अस्पताल को चालू किया गया. बीते 18 अगस्त 2022 को डीएम कौशल कुमार ने भव्य तरीके से यहां सभी सुविधाओं की शुरुआत की थी. उद्घाटन के कुछ महीनों तक अस्पताल चला भी, लेकिन उद्घाटन को अभी एक साल भी पूरा नहीं हुआ है और अब यह अक्सर बंद रहता है. जबकि कायदे से यहां ऑपरेशन तक की सेवा मिलनी चाहिए थी.

लोगों का आरोप है कि जब वह त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल के प्रभारी उपाधीक्षक को फोन करते हैं तो वह कहते हैं बाजीतपुर अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र उनकी पॉकेट में है. जब वह चाहेंगे तो खुलेगा, अन्यथा बंद रहेगा. इधर, सिविल सर्जन डॉ मिहिर कुमार वर्मा ने बताया बताया कि त्रिवेणीगंज के हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर मजबूती के लिए को प्रतिनियुक्त किया गया है. बाकी त्रिवेणीगंज अनुमंडल या अस्पताल के उपाधीक्षक को निर्देश दिए गए हैं। अस्पताल का नियमित संचालन किया जाना है.

इनपुट- मोहन प्रकाश

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