रामलाल की प्राण प्रतिष्ठा में जाएगा सीता कुंड का जल, रामायण काल से जुड़ा है इतिहास
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रामलाल की प्राण प्रतिष्ठा में जाएगा सीता कुंड का जल, रामायण काल से जुड़ा है इतिहास

22 जनवरी को अयोध्या के नवनिर्मित राम मंदिर में रामलाल की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. इसमें मुंगेर स्थित सीताकुंड का भी जल भेजा जाएगा.

(फाइल फोटो)

मुंगेर: 22 जनवरी को अयोध्या के नवनिर्मित राम मंदिर में रामलाल की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. इसमें मुंगेर स्थित सीताकुंड का भी जल भेजा जाएगा. रामलाल की प्राण प्रतिष्ठा में जिले के महंत घनश्याम दास जमुना दास तथा नरसिंह दास मुंगेर का प्रतिनिधित्व करेंगे .इसे लेकर मुंगेर के बड़ी महावीर स्थान के पुजारी महंथ घनश्याम दास को भी अयोध्या और विश्व हिंदू परिषद संगठन से आमंत्रण पत्र भेजा गया है. आमंत्रण पत्र को स्वीकार करते हुए महंत घनश्याम दास सहित दो अन्य महंथ जमुना दास और नरसिंह दास भी अयोध्या जा रहे हैं. 

महंत घनश्याम दास बताते है कि 20 जनवरी को हम तीनों महत सीताकुंड से गर्म जल लेकर अयोध्या ट्रेन से जायेंगे. इसके लिए पूर्व में ही अयोध्या राम मंदिर कमेटी के सदस्यों को जानकारी दे दी गई है. महंथ घनश्याम दास ने बताया कि भगवान को प्राण प्रतिष्ठा से पूर्व विधीवत पूजा-अर्चणा की जाएगी और 108 जगहों के जल से भगवान को स्नान कराया जाएगा. जिसमें मुंगेर के सीताकुंड का भी गर्म जल लेकर जाया जाएगा और उस जल से भी भगवान को स्नान कराया जाएगा.

कहते हैं शहरवासी

महावीर मंदिर में पूजा-अर्चणा करने आए श्रद्धालु शुभांकर झा और हेमंत सिंह ने बताया कि मुंगेर का सौभाग्य है कि मुंगेर के सीताकुंड का गर्म जल महंथ के द्वारा अयोध्या लेकर जाया जाएगा और उस जल से भगवान रामलला को स्नान कराया जाएगा. यह गौरव की बात है. उन्होंने बताया कि इससे विश्व के पटल पर मुंगेर का नाम आएगा और धार्मिक धरोहर के क्षेत्र में काफी विकास होगा. उन्होंने कहा कि अयोध्या में भगवान राम लला का स्थापना और अयोध्या से मुंगेर के संत महात्मा को आमंत्रण पत्र देकर बुलाना यह काफी खुशी का पहल है.

मुंगेर के सीताकुंड का काफी महत्व

पौराणिक कथाओं के मुताबिक मुंगेर के सीताकुंड का काफी महत्व है. बताया जाता है कि लंका से विजय प्राप्त कर लौटने के समय माता सीता भगवान श्री राम और लक्ष्मण के साथ मुंगेर में रुकी थी. यहीं माता सीता की अग्नि परीक्षा हुई थी, इसी कारण सीता कुंड का जल हमेशा गर्म रहता है, दूसरी और सीता चरण मंदिर गंगा के बीच एक शिलाखंड पर स्थित है. इस शिलाखंड पर माता सीता और भगवान श्री राम के चरणों के आज भी निशान है. यहां माता सीता ने महापर्व छठ का अनुष्ठान किया था. इसका वर्णन आनंद रामायण में भी है 1926 में प्रकाशित मुंगेर गजेटियर में भी इस बात का उल्लेख है.

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