उपेंद्र कुशवाहा बोले- बिहार से धीरे-धीरे समाप्त हो रही जेडीयू, अब कैसे बचेगी कुर्सी
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उपेंद्र कुशवाहा बोले- बिहार से धीरे-धीरे समाप्त हो रही जेडीयू, अब कैसे बचेगी कुर्सी

उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि जब यात्रा की शुरुआती दिनों में लोगों का खूब समर्थन मिला, इतनी अपेक्षा नहीं था कि लोगों का समर्थन मिलेगा. हर तबके के लोगों ने समर्थन और सहयोग किया.

उपेंद्र कुशवाहा बोले- बिहार से धीरे-धीरे समाप्त हो रही जेडीयू, अब कैसे बचेगी कुर्सी

पटना : RLJD के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के दूसरे चरण की विरासत बचाओ नमन यात्रा का समापन अरवल के कुर्था में हुआ. इस दौरान कुर्था में शहीद जगदेव प्रसाद के स्मारक पर उपेंद्र कुशवाहा ने माल्यार्पण किया. इसके बाद सभा को संबोधित करते हुए उपेंद्र कुशवाहा ने कहा हम अपने कुल देवता अमर शहीद जगदेव बाबू के चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित करते है, हमे भरोसा नही था की लोगों का समर्थन मिलेगा.

उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि जब यात्रा की शुरुआती दिनों में लोगों का खूब समर्थन मिला, इतनी अपेक्षा नहीं था कि लोगों का समर्थन मिलेगा. हर तबके के लोगों ने समर्थन और सहयोग किया. उन्होंने आगे कहा कि कई जिलों में तो जेडीयू के लोग बड़ी संख्या में हमारी पार्टी में शामिल होते गए, जहां हम गए जेडीयू का सफाया करते गए. जो बात हम बोल रहे थे कि जेडीयू समाप्त हो रही है जो आसंका हमें था वो सही हुआ. कुछ दिन बाद जेडीयू का नाम लेने वाला कोई नही बचेगा. अधिकांश लोगो ने मन बना लिया है समय के इंतजार में है, नाव डूबने वाली है लोग छलांग लगाने के लिए तैयार बैठे है. जेडीयू को दुनिया की कोई ताकत अब डूबने से नहीं बचा सकती है.

उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि आपने जो फैसला लिया उसपर सोचिए लेकिन उन्होंने सीधे कहा उपेंद्र कुशवाहा को जहा जाना है चले जाए, हम कहने आए है आज अमर शहीद जगदेव बाबू को की नीतीश कुमार ने कहा मुझे जहा जाना है जाइए तो मैं आपके चरण में आया हूं, 2005 में जब नीतीश कुमार सत्ता में आए उससे पहले कितना संघर्ष हुआ था, लोगो ने साथ दिया तब जाकर नीतीश कुमार बिहार के सीएम बने थे लेकिन जहां से बिहार के लोगों ने बाहर लाने की जिम्मेदारी दी बिहार को, वही स्थिति फिर लाना चाहते है नीतीश कुमार। पड़ोसी के घर में देख रहे है बिहार का उतराधिकारी, बिहार को अगर नितिश कुमार गिरवी रखेंगे राजद के हाथो में तो हम नही रखने देंगे, हमने संकल्प लिया है की जितना विपरीत परिस्थिति का सामना करना होगा.

इनपुट: निषेद

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