Trending Photos
पटनाः Patna Mahavir Mandir: आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर के प्रसाद (लड्डू) में जानवरों की चर्बी और मछली के तेल का इस्तेमाल होने की बात सामने आने के बाद बवाल मचा हुआ है. तिरुपति मंदिर के बाद प्रसाद के रूप में लड्डू की सबसे ज्यादा बिक्री पटना के महावीर मंदिर में होती है, बुद्ध मार्ग स्थित एक कारखाने में शुद्धता का ध्यान रखते हुए तमिलनाडु और कर्नाटक के कारीगर लड्डू तैयार करते है. ऐसे में zee मीडिया की टीम उस कारखाने पहुंची. जहां पर महावीर मंदिर के लड्डू तैयार होते है.
कारखाने के इंचार्ज आर शेषाद्रि ने बताया कि नैवेद्यम को तैयार करने में चना दाल का बेसन, गाय का शुद्ध घी (नंदिनी ब्रांड), काजू, किशमिश और इलायची का इस्तेमाल किया जाता है. शेषाद्रि ने बताया कि पहले तिरुपति मंदिर में भी नंदिनी घी का ही इस्तेमाल किया जाता था, तिरुपति में 50 सालों से नंदिनी घी की सप्लाई होती थी, लेकिन दाम बढ़ने के कारण तिरुपति में कॉस्ट कटिंग के लिए इस घी की जगह दूसरे घी का इस्तेमाल किया जाने लगा. वहीं पटना महावीर मंदिर ने दाम बढ़ने के बाद भी नंदिनी घी को लेना बंद नहीं किया और आज भी इसी घी से लड्डू तैयार किया जाता है.
यह भी पढ़ें- बिहार के बदमाश मोहम्मद जाहिद का यूपी में एनकाउंटर, 2 सिपाही को भी लगी गोली
नैवेद्यम बनाने के दौरान कारीगर पवित्रता और शुद्धता का पूरा ध्यान रखते हैं, रात 2 बजे से ही सभी कारीगर प्रसाद बनाने में जुट जाते है. नैवेद्यम बनाने के लिए कर्नाटक से नंदिनी के नाम से शुद्ध घी आता है. वहीं नैवेद्यम के लिए काजू, किशमिश और इलायची केरल से मंगाया जाता है, चीनी अयोध्या से आती है.
नैवेद्यम बनाने के लिए कारखाने के मिल में ही चने की दाल को मिक्सर में पीसकर बेसन तैयार किया जाता है. उसके बाद बेसन को लगभग 5-7 मिनट तक पानी के साथ मिक्स कर घोल बनाया जाता है. इसके बाद शुद्ध बेसन को चार बड़ी कढ़ाई में बूंदी बनाने के लिए घी में छाना जाता है. स्टीम वाली मशीन में चाशनी तैयार की जाती है. इसके बाद मिक्सिंग मशीन में बुंदिया, चीनी की चाशनी, काजू, किशमिश, इलायची डालकर उसे मिलाया जाता है. इसके बाद अंतिम में लड्डू का आकार दिया जाता है.
बता दें कि नैवेद्यम को भारत सरकार द्वारा 'भोग' सर्टिफिकेट से सम्मानित किया गया है, जो इसकी शुद्धता और पवित्रता का प्रमाण है. महावीर मंदिर के इस नैवेद्यम की तैयारी में नंदिनी घी का प्रयोग किया जाता है. जिसकी हर खेप लैब जांच के बाद ही खरीद की जाती है. हर तीन महीने पर प्रसाद की गुणवत्ता की जांच की जाती है, ताकि भक्तों को शुद्धता और पवित्रता से युक्त प्रसाद प्राप्त हो सके. नैवेद्यम को बनाने वाले कारीगर आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु के रहने वाले हैं. इसके साथ ही पूर्व में तिरुपति मंदिर में काम कर चुके हैं. कारखाना में 125 कारीगर प्रतिदिन अलग-अलग शिफ्ट में काम करते हैं.
इनपुट- निषेद कुमार