बीपीएससी परीक्षा रद्द मामले को लेकर छात्र आंदोलन बना राजनीतिक अखाड़ा
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बीपीएससी परीक्षा रद्द मामले को लेकर छात्र आंदोलन बना राजनीतिक अखाड़ा

Bihar News: छात्र नेता दिलीप कुमार ने कहा कि राजनीतिक दल सिर्फ दिखावे के लिए समर्थन करते हैं. जब वही दल सत्ता में आते हैं, तो आंदोलन करने वालों पर लाठीचार्ज कराते हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि इस आंदोलन को पूरी तरह राजनीति से जोड़ दिया गया है.

 

बीपीएससी परीक्षा रद्द मामले को लेकर छात्र आंदोलन बना राजनीतिक अखाड़ा

पटना: पटना में बीपीएससी (बिहार लोक सेवा आयोग) की 70वीं संयुक्त प्रारंभिक परीक्षा रद्द कराने को लेकर छात्रों का आंदोलन अब एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है. छात्र, परीक्षा में हुई अनियमितताओं को लेकर नाराज हैं और पूरी परीक्षा रद्द करने की मांग कर रहे हैं. इस बीच, विभिन्न राजनीतिक दलों ने इस आंदोलन में कूदकर इसे राजनीतिक अखाड़ा बना दिया है.

छात्रों की नाराजगी और आंदोलन की शुरुआत
जानकारी के अनुसार 13 दिसंबर को हुई परीक्षा के बाद पटना के बापू भवन परीक्षा केंद्र में गड़बड़ी की खबरें सामने आईं. आयोग ने वहां दोबारा परीक्षा कराने का फैसला किया, लेकिन इससे छात्रों की नाराजगी और बढ़ गई. अब वे पूरी परीक्षा रद्द करने की मांग पर अड़ गए हैं. पटना के गर्दनीबाग धरना स्थल पर बड़ी संख्या में छात्र धरना दे रहे हैं.

राजनीतिक दलों की सक्रियता
इस आंदोलन ने राजनीतिक रंग तब लिया जब नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने धरना स्थल पर पहुंचकर छात्रों का समर्थन किया. इसके बाद प्रशांत किशोर और निर्दलीय सांसद पप्पू यादव भी छात्रों के समर्थन में आ गए. पप्पू यादव ने राज्यपाल से मुलाकात की, तो वहीं प्रशांत किशोर छात्रों का प्रतिनिधिमंडल लेकर मुख्य सचिव से मिले.

राजनीतिक बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोप
साथ ही यह मुद्दा अब राजनीतिक दलों के लिए युवाओं और छात्रों के बीच अपनी स्थिति मजबूत करने का अवसर बन गया है. चुनावी वर्ष के मद्देनजर सभी दल इस मुद्दे पर छात्रों के हितैषी बनने की कोशिश कर रहे हैं. राजनीति के जानकारों का मानना है कि यह आंदोलन चुनावी वोट बैंक की राजनीति का हिस्सा बन गया है.

छात्र नेताओं का गुस्सा
छात्र नेता दिलीप कुमार ने कहा कि राजनीतिक दल सिर्फ दिखावे के लिए समर्थन करते हैं. जब वे सत्ता में आते हैं, तो आंदोलनकारियों पर लाठीचार्ज करवाते हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि इस आंदोलन का पूरी तरह राजनीतिकरण हो चुका है.

आगे की राह
फिलहाल, आयोग या सरकार ने परीक्षा रद्द करने को लेकर कोई अंतिम फैसला नहीं लिया है, लेकिन इस मुद्दे पर राजनीति गर्म है और छात्र अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं. अब देखना यह है कि सरकार और आयोग छात्रों की मांगों का समाधान कैसे निकालते हैं. यह आंदोलन केवल एक परीक्षा विवाद नहीं रह गया, बल्कि बिहार की राजनीति का केंद्र बन गया है. आगामी चुनावों के मद्देनजर यह देखना दिलचस्प होगा कि यह मुद्दा कैसे आगे बढ़ता है.

इनपुट- आईएएनएस

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