Shanidev Sawan Puja: सावन का पहला शनिवार, इन मंत्रों से करें महादेव के बाद शनिदेव की खास पूजा
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Shanidev Sawan Puja: सावन का पहला शनिवार, इन मंत्रों से करें महादेव के बाद शनिदेव की खास पूजा

Shanidev Sawan Puja: शनिदेव से संबंधित वस्तुएं: साबुत उड़द, लोहा, तेल, तिल के बीज, पुखराज रत्न, काले कपड़े आदि हैं 

 

(फाइल फोटो)

पटना: Shanidev Sawan Puja: सावन माह का पहला शनिवार आज है. आज के दिन महादेव की पूजा के साथ शनिदेव की पूजा करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है. इस दिन की पूजा करने से व्यक्ति के तमाम तरह के पाप और बाधाएं आदि भी दूर हो जाते हैं. शिव कृपा से शनि महाराज के वक्र और क्रोधी दृष्टि का फल नहीं लगता है और आपकी परेशानियां दूर होने लगती हैं. शनिदेव से संबंधित वस्तुएं: साबुत उड़द, लोहा, तेल, तिल के बीज, पुखराज रत्न, काले कपड़े आदि हैं. जानिए शनिदेव की पूजा के मंत्र. 

आज इन मंत्रों से करें शनि देव की पूजा
1. शनि देव का महामंत्रः शनिदेव को प्रसन्न करने का मंत्र हैं. इसमें उनके स्वरूप का वर्णन होता है.
ओम निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥ 

2. शनि गायत्री मंत्रः इस मंत्र के जाप से शनिदोष, या चोट-दुर्घटना आदि होने के जो बुरे योग होते हैं वह कट जाते हैं.
ओम भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात् 

3. शनि देव का बीज मंत्रः यह शनिदेव का बीज यानी मूल मंत्र है. इसे सिद्ध कर लेने से फिर कोई कष्ट नहीं रह जाता है. यह कवच की तरह कार्य करता है.
ओम प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः। 

4. शनि आरोग्य मंत्रः इस मंत्र के जाप से पुराने से पुराना रोग और पीड़ा खत्म होने लगती है. अगर आपके घर में रोगी व्यक्ति है तो उसके निदान के लिए इस मंत्र का जाप जरूर करें.
ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिहा।कंकटी कलही चाउथ तुरंगी महिषी अजा।।शनैर्नामानि पत्नीनामेतानि संजपन् पुमान्।दुःखानि नाश्येन्नित्यं सौभाग्यमेधते सुखमं।। 

5. शनि दोष निवारण मंत्रः अगर किसी की कुंडली में शनिदोष है तो इस मंत्र का जाप जरूर करें
ओम त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम।उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात।।ओम शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये शंयोरभिश्रवन्तु नः।ओम शं शनैश्चराय नमः।। 

शनि देव की आरती
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥ जय जय श्री शनि… 

श्याम अंग वक्र-दृ‍ष्टि चतुर्भुजा धारी।नीलाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥ जय जय श्री शनि… 

क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥ जय जय श्री शनि 

मोदक मिष्ठान पान चढ़त है सुपारी।लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥ जय जय श्री शनि देव… 

देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥ 

जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी। 

शनि देव की जय…जय जय शनि देव

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