राजधानी पटना स्थित बड़ी पटनदेवी माता के महत्त्वपूर्ण शक्तिपीठों में से एक है. माना जाता है कि देवी सती के शरीर का दाहिना जांघ यहीं पर गिरा था. बताया जाता है कि उत्खनन के दौरान यहां महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती की तीन मुर्तियां मिली थी, जिसे यहीं पर स्थापित किया गया है.
बड़ी पटनदेवी से तीन किमी दूरी पर स्थित छोटी पटनदेवी एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है. पौराणिक मान्यताओं की माने तो यहां देवी सती का पट और वस्त्र गिरा था. जहां माता का वस्त्र गिरा था वहां मंदिर बनाया गया
बिहारशरीफ से पश्चिम एकंगरसराय पथ पर मघरा गांव में स्थित प्राचीन शीतला मंदिर एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है. ऐसी मान्यता है कि यहां पर देवी सती के हाथ का कंगन गिरा था. कहा जाता है कि शीतला मंदिर में जल अर्पित करने से कई प्रकार की बीमारियों से धुटाकारा मिलता है.
गया-बोध गया मार्ग पर स्थित भस्मकुट पर्वत पर मां मंगला गौरी का मंदिर एक शक्तिपीठ है. यहां देवी सती का स्तन गिरा था. मान्यता है कि मनुष्य अपने जीवन काल में ही अपना श्राद्ध कर्म यहां पर कर सकता है.
नवादा-रोह-कौआकोल मार्ग पर स्थित रुपौ गांव में मां चामुंडा मंदिर एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है. मान्यता है कि देवी सती का सिर कट कर यहीं पर गिरा था. मार्कण्डेय पुराण के अनुसार, चण्ड-मुण्ड के वध के बाद देवी दुर्गा चामुण्डा के नाम से प्रसिद्ध हुईं.
छपरा-पटना मुख्य मार्ग पर स्थित अंबिका भवानी मंदिर एक प्राचीन धार्मिक स्थल है. पूरे भारत वर्ष में मात्र एक ही ऐसा मंदिर है जहां मूर्ति नहीं है. इस स्थान को देवी सती के जन्म और मृत्यु स्थल के रूप में मान्यता मिली हुई है. कहा जाता है कि देवी सती के पिता दक्ष प्रजापति का यहां राज्य था.
सासाराम से 6 किमी कि दूरी पर कैमूर पहाड़ी की गुफा में ताराचंडी मां का मंदिर स्थित है. जो माता के 51 शक्तिपीठों में एक है. ताराचंडी के अलावा मुन्डेश्वरी मां की काले रंग की मूर्ति भी यहां है. इस मंदिर के नजदीक चार झरने हैं, जो सीता कुंड और माझरमुंड के नाम से जाने जाते हैं.
मां चंडिका देवी का मंदिर मुंगेर ज़िले में गंगा तट पर स्थित भी एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है. यहां पर माता सती की दाईं आंख गिरी थी. जिसके चलते मुख्य मंदिर में सोने से गढ़ी आंख स्थापित है.
सहरसा से 17 किमी दूरी पर उग्रतारा शक्तिपीठ स्थित है. कहा जाता है देवी सती की बाईं आंख यहां गिरी थी. महर्षि वशिष्ठ ने इसी स्थल पर चीनाचार विधि से देवी की घोर उपासना की थी.
बिहार के बेतिया में स्थित कालीबाग मंदिर का इतिहास 400 साल पुराना है. मान्यता है कि इस मंदिर की स्थापना के समय 108 नरमुडों की बली दी गई थी. यहां 365 देवी देवताओं की मुर्तियां है.
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