Parivartini Ekadashi 2024: परिवर्तिनी एकादशी का महत्व इसलिए बढ़ जाता है क्योंकि इसी दिन भगवान विष्णु शयनकाल के दौरान करवट बदलते हैं. भगवान विष्णु के करवट बदलने के कारण ही इसे परिवर्तिनी एकादशी कहा जाता है.
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Parivartini Ekadashi 2024: परिवर्तिनी एकादशी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. आचार्य मदन मोहन के अनुसार भाद्रपद शुक्ल पक्ष की इस एकादशी को भगवान विष्णु शयनकाल के दौरान करवट बदलते हैं, इसलिए इसे परिवर्तिनी एकादशी कहा जाता है. इस दिन व्रत और पूजा करने से पापों से मुक्ति मिलती है. इस वर्ष परिवर्तिनी एकादशी का व्रत शुक्रवार 13 सितंबर 2024 को रखा जाएगा.
आाचर्य मदन मोहन के अनुसार इस एकादशी से जुड़ी एक कथा है, जिसे भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को सुनाई थी. उन्होंने कहा, त्रेतायुग में असुरराज बलि नामक मेरा एक भक्त था. वह दैत्य कुल का था, लेकिन मुझ पर उसकी गहरी आस्था थी. वह प्रतिदिन पूजा करता और यज्ञों के माध्यम से ब्राह्मणों को दान देता था. समय के साथ उसे अपनी शक्ति का अहंकार हो गया और उसने इंद्रलोक पर आक्रमण कर उसे जीत लिया. इंद्र और अन्य देवता इंद्रलोक छोड़ने को मजबूर हो गए.
साथ ही देवगण परेशान होकर बैकुंठ धाम पहुंचे और मेरी स्तुति की, जिससे मेरी निद्रा भंग हो गई और मैंने करवट बदली. मैंने देवताओं से कहा कि वे चिंता न करें, मैं जल्द ही इसका समाधान करूंगा. इसके बाद मैंने वामन अवतार धारण किया और बलि के पास पहुंचा. मैंने उससे तीन पग भूमि दान में मांगी और वह तुरंत तैयार हो गया. तब मैंने एक पग में धरती और दूसरे पग में स्वर्ग को माप लिया. तीसरे पग के लिए मैंने बलि से स्थान मांगा, तो उसने अपना सिर आगे कर दिया. मैंने अपना पग उसके मस्तक पर रखा और वह पाताललोक में चला गया.
इसके अलावा बलि की भक्ति से प्रसन्न होकर मैंने उसे पाताललोक का राजा बना दिया. इस तरह, मैंने देवताओं को उनका इंद्रलोक वापस दिलाया. यह कथा हमें बलि के दानवीर और भगवान विष्णु की कृपा की याद दिलाती है. इस दिन भगवान विष्णु का व्रत और पूजन करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है.
Disclaimer: यह जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है, किसी भी निर्णय से पहले विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें.
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