बिहार के सरकारी स्कूलों में क्यों शुरू किया जा रहा PTM,जानिए क्या है मायने?
Advertisement
trendingNow0/india/bihar-jharkhand/bihar1402675

बिहार के सरकारी स्कूलों में क्यों शुरू किया जा रहा PTM,जानिए क्या है मायने?

शिक्षा विभाग ने सभी स्कूलों के हेडमास्टर को परफॉर्मेंस रिपोर्ट भी भेजने के लिए कहा है. प्राथमिक स्कूलों के हेडमास्टर भी शिक्षा विभाग की पहल का स्वागत कर रहे हैं.

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

पटना: Parents Teacher Meeting: अब तक आपने निजी और बड़े स्कूलों में ही पैरेंट्स टीचर होने की बात सुनी होगी लेकिन अब सरकारी स्कूलों में इस तरह का आयोजन कल होने जा रहा है. राज्य के सभी 80 हजार प्राथमिक स्कूलों में पीटीएम होगा. कोशिश हो रही है कि बच्चे पढ़ाई के प्रति जागरूक हो. 

एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना के बाद सरकारी और निजी दोनों तरह के विद्यालयों में बच्चे पढ़ाई से मुखातिब नहीं है. शिक्षा विभाग ने सभी स्कूलों के हेडमास्टर को परफॉर्मेंस रिपोर्ट भी भेजने के लिए कहा है. प्राथमिक स्कूलों के हेडमास्टर भी शिक्षा विभाग की पहल का स्वागत कर रहे हैं.

दरअसल, प्राथमिक स्कूलों में ही क्लास एक से लेकर क्लास आठ तक प्रधानमंत्री पोषण योजना (पहले इसे मिड डे मिल के नाम से जाना जाता था) चलाई जाती है. सरकारी स्कूलों के बच्चे के बारे में अवधारणा ये भी है कि बच्चे सिर्फ खाने के लिए ही पहुंचते हैं. पढ़ाई से ही उन्हें मतलब नहीं होता है.

अब शिक्षा विभाग इस मिथक को तोड़ना चाहता है. लिहाजा सरकारी स्कूलों में पीटीएम हो रहा है. पहले 18 अक्टूबर को पीटीएम होना था लेकिन अर्धवार्षिक परीक्षा की वजह से इसका आयोजन अब कल होगा. पटना जिले के डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम ऑफिसर (DPO) श्याम नंदन बताते हैं कि कोरोना के कारण बच्चों की पढ़ाई का क्रम टूटा और छूटा है लिहाजा इस तरह का आयोजन हो रहा है.

एक तरफ सरकार शिक्षा में सुधार के लिए हर तरह की कोशिश कर रही है. पोषण योजना से लेकर साइकिल योजना सरकार की इसी कोशिश का नतीजा है लेकिन पढ़ाई में सरकारी स्कूलों के बच्चे पिछड़ रहे हैं. अब विभाग की कोशिश है कि पीटीएम के जरिए बच्चे पढ़ाई की तरफ रूख करें.

Trending news