भारत की प्रसिद्ध लोक गायिका स्वर्गीय शारदा सिन्हा को 2025 के पद्म पुरस्कारों में मरणोपरांत पद्मविभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. यह सम्मान उन्हें उनके संगीत क्षेत्र में किए गए असाधारण योगदान के लिए दिया गया है. शारदा सिन्हा ने बिहार की लोक संस्कृति और संगीत को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर पहचान दिलाई.
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Padma Awards 2025: मशहूर लोक गायिका स्वर्गीय शारदा सिन्हा को गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर मरणोपरांत पद्मविभूषण पुरस्कार देने का ऐलान किया गया है. यह सम्मान उन्हें उनकी असाधारण संगीत यात्रा और बिहार की लोक धरोहर को संजोने के लिए दिया जाएगा. शारदा सिन्हा का निधन 5 नवंबर 2024 को 72 वर्ष की आयु में हुआ था. उनके निधन के बाद भी उनका योगदान आज भी लोगों के दिलों में जीवित है.
शारदा सिन्हा को पहले ही पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उन्हें मैथिली और भोजपुरी गानों के लिए खास पहचान मिली. उनके गाए हुए गाने जैसे 'विवाह गीत' और 'छठ गीत' आज भी लोक संगीत प्रेमियों के बीच बहुत लोकप्रिय हैं. उनका जन्म 1 अक्टूबर 1952 को बिहार के समस्तीपुर में हुआ था, और उनका परिवार भी संगीत से जुड़ा हुआ था.
1980 में शारदा सिन्हा ने अपने करियर की शुरुआत ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन से की थी. उनकी आवाज में एक अलग ही कशिश थी, जो सीधे दिल को छू जाती थी. उनका संगीत न केवल बिहार, बल्कि पूरे देश की सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा बन गया. शारदा सिन्हा ने हमेशा लोक संगीत को जीवित रखा और उसे पूरे देश में फैलाया. उन्होंने भोजपुरी और मैथिली भाषाओं के संगीत को लेकर लोगों में जागरूकता पैदा की और इन भाषाओं को एक सम्मानजनक स्थान दिलवाया.
शारदा सिन्हा को लोक गायिका के रूप में केवल एक कलाकार ही नहीं, बल्कि बिहार की सांस्कृतिक धरोहर की संरक्षक के रूप में भी जाना जाता है. उनका संगीत न केवल बिहार, बल्कि समूचे भारत में लोक संस्कृति को जीवित रखने के लिए प्रेरणास्त्रोत बना है.
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