नीतीश कुमार ने भाजपा नेताओं के साथ ‘निजी मित्रता’ संबंधी बयान की अटकलों को किया खारिज
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नीतीश कुमार ने भाजपा नेताओं के साथ ‘निजी मित्रता’ संबंधी बयान की अटकलों को किया खारिज

Bihar News : नीतीश कुमार ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के इस कथन का भी मखौल उड़ाया कि जदयू नेता भाजपा नेताओं के साथ ‘व्यक्तिगत मित्रता’ की बात करके कांग्रेस और राजद को ‘डराने और भ्रमित’ करने की कोशिश कर रहे थे.

नीतीश कुमार ने भाजपा नेताओं के साथ ‘निजी मित्रता’ संबंधी बयान की अटकलों को किया खारिज

पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को इन अटकलों को खारिज कर दिया कि उनका हालिया बयान भाजपा के साथ मतभेद को दूर करने और अपने मौजूदा सहयोगियों राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस पर दबाव बनाने का एक प्रयास था. जनता दल (यूनाइटेड) नेता कुमार पूर्वी चंपारण जिले में दिए एक भाषण में भाजपा के एक नेता के साथ ‘‘व्यक्तिगत मित्रता’’ होने संबंधी स्वीकारोक्ति से संबंधित अटकलों को लेकर पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे.

नीतीश कुमार ने कहा कि जब मैंने महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में अपने भाषण के बारे में खबर पढ़ी तो मुझे दुख हुआ. मैं यह रेखांकित करना चाहता था कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार केवल गया में एक केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाना चाहती थी, लेकिन मेरे कहने पर मोतिहारी (पूर्वी चंपारण) में एक और विश्वविद्यालय स्थापित करने पर सहमत हुई. काम तब शुरू हुआ जब केंद्र में भाजपा की सरकार थी, हालांकि यह तथ्य है कि विश्वविद्यालय मेरी पहल के परिणामस्वरूप अस्तित्व में आया. जदयू नेता ने कहा कि मीडिया में उनके भाषण की जिस तरह से रिपोर्टिंग की गई, उसे देखकर वह व्यथित हैं. उन्होंने ने कहा कि मैंने बाद में दिन में (एम्स, पटना के दीक्षांत समारोह में) अपनी नाराजगी व्यक्त की. मुझे ऐसा लग रहा है कि मैं आखिरी बार आप लोगों से बात कर रहा हूं. 

नीतीश ने जवाब दिया कि ऐसा नहीं है, लेकिन जैसा कि मैंने हमेशा कहा है, मीडिया पर (केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा द्वारा) कब्जा कर लिया गया है. मैं अब वैसा स्वतंत्र कवरेज नहीं देखता हूं, जो सत्ता के हितों की पूर्ति न करती हो. कुमार ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के इस कथन का भी मखौल उड़ाया कि जदयू नेता भाजपा नेताओं के साथ ‘व्यक्तिगत मित्रता’ की बात करके कांग्रेस और राजद को ‘डराने और भ्रमित’ करने की कोशिश कर रहे थे. बिहार के वर्तमान उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की ओर इशारा करते हुए कहा कि उनके पिता (लालू प्रसाद) और सुशील मोदी (1970 के दशक की शुरुआत में) पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के क्रमशः अध्यक्ष और महासचिव बने. मैं तब इंजीनियरिंग का छात्र था और उनके पक्ष में प्रचार किया. जिससे उन्हें मेरे कॉलेज से 500 में से 450 वोट मिले. 

नीतीश ने कहा कि मैं वास्तव में दुखी था जब सुशील मोदी को (2020 के विधानसभा चुनाव के बाद) दोबारा उपमुख्यमंत्री नहीं बनाया गया. इसलिए वह ऐसी बातें कहकर संतुष्ट होते हैं, जो उन्हें मीडिया की सुर्खियों में बने रहने में मदद करती हैं. मैं उनके प्रयासों के लिए उन्हें शुभकामनाएं देता हूं. पिछले साल भाजपा का साथ छोड़ने वाले जदयू नेता ने यादव का हाथ पकड़कर 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को हराने की कसम खाई और कहा हम बिहार की प्रगति के लिए मिलकर काम कर रहे हैं.

इनपुट- भाषा 

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