केके पाठक सर! आपका मिजाज मौसम के मिजाज से मेल नहीं खा रहा, 40 डिग्री तापमान में आपने गर्मी की छुट्टी कर दी, अब 47 डिग्री में पढ़ा रहे हैं
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केके पाठक सर! आपका मिजाज मौसम के मिजाज से मेल नहीं खा रहा, 40 डिग्री तापमान में आपने गर्मी की छुट्टी कर दी, अब 47 डिग्री में पढ़ा रहे हैं

बिहार के सरकारी स्कूलों में 15 अप्रैल से 15 मई तक गर्मी की छुट्टी थी. 16 मई से नए समय सारणी के साथ स्कूल खुले थे. 1 महीने की गर्मी की छुट्टी के बाद बच्चों के लिए सुबह 6 से 12 बजे तक के लिए स्कूल खोले गए थे. 

केके पाठक के राज में स्कूलों में बेहोश हो रहे बच्चे

केके पाठक सर! इसमें कोई दोराय नहीं कि बिहार में शिक्षा व्यवस्था को सुधारने में आपने बहुत मेहनत की और आपके कुछ फैसले आगे चलकर मील का पत्थर साबित हो सकते हैं, लेकिन आपके कुछ फैसलों पर सवाल भी उठते हैं. न्यूज रिपोर्ट में आप लगातार देख रहे होंगे कि बच्चे इस भीषण गर्मी में स्कूलों में बेहोश हो रहे हैं. अब आप ही बताइए, 40 डिग्री के तापमान में आपने स्कूलों में गर्मी की छुट्टियां दे दीं और अब जबकि पारा 47 डिग्री हो गया है या होने वाला है, तब आप बच्चों को स्कूल बुलवाकर क्लास करवा रहे हैं. ये तो सरासर नाइंसाफी है.

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बिहार के सरकारी स्कूलों में 15 अप्रैल से 15 मई तक गर्मी की छुट्टी थी. 16 मई से नए समय सारणी के साथ स्कूल खुले थे. 1 महीने की गर्मी की छुट्टी के बाद बच्चों के लिए सुबह 6 से 12 बजे तक के लिए स्कूल खोले गए थे. ग​र्मी की छु​ट्टी में शिक्षकों को कोई छुट्टी नहीं दी गई थी. 15 अप्रैल से 15 मई तक गर्मी की छुट्टी के दौरान भी प्रारंभिक और उच्च विद्यालयों में विशेष कक्षाएं संचालित की जा रही थीं. 16 मई से जब दोबारा स्कूल खोला गया तो सुबह 6:00 से 12:00 समय सारणी बदल दिया गया.

बेगूसराय, मुंगेर और शेखपुरा में 36 से अधिक बच्चे बेहोश

पाठक जी! आज बुधवार की ही रिपोर्ट में आया है कि बेगुसराय में डेढ़ दर्जन, मुंगेर में एक दर्जन और शेखपुरा में 16 छात्र-छात्राएं भीषण गर्मी के कारण कक्षा में बेहोश हो गए. अब बेहोश तो होंगे ही. 40 डिग्री तापमान में आप छुट्टी दे रहे हैं और 47 डिग्री तापमान में क्लास करवा रहे हैं. ये किस तरह की जिद है. व्यवस्था सुधारने की यह सनक अब बच्चों की जान पर बन आई है. आप साबित क्या करना चाहते हैं. मौसम का मिजाज आपके मिजाज से मेल नहीं खा रहा है तो इसका नुकसान बच्चे और उनके मां-बाप क्यों भुगतें. 

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47 डिग्री तापमान में आप क्लास करवा रहे हैं तो...

1- क्या आपने यह सुनिश्चित किया है कि सभी स्कूलों में पीने के पानी की व्यवस्था ठीक होगी.?
2- क्या आपने सुनिश्चित किया है कि सभी स्कूलों के खिड़की दरवाजे दुरुस्त होंगे, ताकि लू के थपेड़े नौनिहालों के जिस्म तक न पहुंचें?
3- क्या आप सुनिश्चित करते हैं कि सभी स्कूलों में मेडिकल किट होंगे, जहां किसी की हालत बिगड़ने पर तत्काल राहत के नाम पर उसे दवाई दी जा सके?
4- क्या आपने सुनिश्चित किया है कि स्कूलों के पास मेडिकल सेंटर हों, जहां किसी भी आपातकाल में बच्चों का इलाज किया जा सके?
5- क्या बीमार बच्चों को स्कूल से उनके घर या अस्पताल ले जाने का आपने समुचित प्रबंध किया है?
6- क्या स्कूलों में सभी बच्चों के माता-पिता के फोन नंबर दर्ज हैं, ताकि इमरजेंसी में उनको सूचना दी जा सके?

पाठक जी! भगवान न करें कि... 

केके पाठक जी! आप तेजतर्रार अफसर रहे हैं, इसमें कोई दोराय नहीं है, लेकिन इस तरह बच्चों की जान से खेलना क्या ठीक है. आपको नहीं लगता कि आप जो कर रहे हैं, उसमें कुछ गड़बड़ियां हैं. व्यवस्था को चौकस बनाना, उसे सुधारना, उस पर चाबुक चलाना अलग बात है, लेकिन बच्चों की जान से खेलना दूसरी बात. आप ही बताइए, मौसम विभाग अगले कुछ दिनों में पारा 50 डिग्री तक जाने की चेतावनी दे रहा है और आप हैं कि मासूमों को स्कूलों में बुला रहे हैं. 

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आनलाइन क्लास क्यों नहीं करवाते?

अगर ऐसा है तो क्यों नहीं आप आनलाइन क्लास की व्यवस्था करवा रहे हैं. एडमिशन के साथ ही किताबों के साथ बच्चों को मोबाइल फोन दिलवाइए और आनलाइन क्लास करवाइए. बिना बच्चों की शहादत के भी आप शिक्षा व्यवस्था सुधार सकते हैं. इतना सस्ता उपाय मत कीजिए कि किसी के लिए काफी महंगा पड़ जाए. 

आपके स्कूलों में कब होती थी गर्मी की छुट्टी?

मई के अंत और जून की शुरुआत में हर जगह गर्मी की छुट्टी होती है. आपने भी स्कूलों में पढ़ा होगा. याद कीजिएगा कि आपके स्कूल में मई के अंत और जून में गर्मी की छुट्टी होती थी या अप्रैल में.

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