Karva Chauth 2022: 12 या 13 अक्टूबर कब है करवाचौथ? असमंजस खत्म, इस दिन होगा व्रत
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Karva Chauth 2022: 12 या 13 अक्टूबर कब है करवाचौथ? असमंजस खत्म, इस दिन होगा व्रत

Karva Chauth 2022: असल में पहले करवाचौथ को लेकर असमंजस की स्थिति थी. हालांकि यह असमंजस खत्म हो गया है, अब सुहागिनें 13 अक्टूबर को ही व्रत रखेंगी. 

Karva Chauth 2022: 12 या 13 अक्टूबर कब है करवाचौथ? असमंजस खत्म, इस दिन होगा व्रत

पटनाः Karva Chauth 2022: सनातन हिंदू परिवारों में करवाचौथ व्रत को लेकर तैयारी शुरू हो गई है. हालांकि इस व्रत को लेकर असमंजस की भी स्थिति काफी दिन से देखी जा रही थी. असल में व्रती महिलाओं के बीच यह चर्चा का विषय था कि यह व्रत 12 या 13 अक्टूबर यानी किस दिन रखा जाए. हालांकि अब यह स्पष्ट है कि करवाचौथ 13 अक्टूबर को ही मनाया जाए. करवाचौथ दो शब्दों से मिलकर बना है. पहला करवा यानी मिट्टी का बरतन और चौथ यानी चतुर्थी तिथि, इसलिए करवा चौथ पर मिट्टी के करवे का बड़ा महत्व बताया गया है. सभी सुहागन महिलाएं साल भर इस व्रत का इंतजार करती हैं. 

करवाचौथ को लेकर थी असमंजस की स्थिति
असल में पहले करवाचौथ को लेकर असमंजस की स्थिति थी. हालांकि यह असमंजस खत्म हो गया है, अब सुहागिनें 13 अक्टूबर को ही व्रत रखेंगी. भले ही चतुर्थी 13 अक्टूबर को तड़के शुरू हो जाएगी, लेकिन उदया तिथि के अनुसार 13 अक्टूबर को ही करवाचौथ व्रत का बेहतर समय है. ऐसे में 13 अक्टूबर को तड़के सरगी खाने के साथ व्रत शुरू होगा. इसके साथ ही करवाचौथ का व्रत इसी दिन उदय होते चंद्र को अर्घ्य देने के साथ संपन्न किया जाएगा. श्री मेला राम मंदिर के प्रमुख पुजारी पंडित भोला नाथ त्रिवेद्धी बताते हैं कि उदय तिथि में शुरू होने वाले त्योहार, व्रत व पर्व मान्य होते हैं.

सरगी खाने से शुरू होता है व्रत
करवाचौथ के व्रत का आगाज तड़के तारों की छांव में सरगी खाने के साथ होता है. व्रत का समापन चंद्रमा को अर्घ्य देने के साथ किया जाता है. इस दिन तड़के तारों की छांव में सरगी खाकर दिन ढलने के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत संपन्न किया जा सकता है. जबकि, 14 अक्टूबर को तड़के 3.08 बजे तो चतुर्थी तिथि संपन्न ही हो जाएगी, जिसके चलते यह सब 13 अक्टूबर को ही संभव है.

पति की लंबी उम्र के लिए सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत करती हैं. करवा चौथ का व्रत में मां पार्वती की पूजा की जाती है और उनसे अखंड सौभाग्य की कामना की जाती हैं. इस व्रत में माता गौरी के साथ साथ भगवान शिव और कार्तिकेय और भगवान गणेश की भी पूजा अर्चना की जाती है. इस व्रत में मिट्टे के करने का बहुत महत्व है. 

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