Kargil Vijay Diwas 2023: आज कारगिल युद्ध के 24 साल पूरे हो गए हैं. 26 जुलाई 1999 को भारत इस युद्ध में विजयी हुआ था. बिहार के 18 लाल भी कारगिल वॉर में शहीद हुए थे. उन्हीं में से एक थे पटना जिले के बिहटा के पांडेचक गांव निवासी शहीद नायक गणेश प्रसाद यादव.
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पटनाः Kargil Vijay Diwas 2023: आज कारगिल युद्ध के 24 साल पूरे हो गए हैं. 26 जुलाई 1999 को भारत इस युद्ध में विजयी हुआ था. बिहार के 18 लाल भी कारगिल वॉर में शहीद हुए थे. उन्हीं में से एक थे पटना जिले के बिहटा के पांडेचक गांव निवासी शहीद नायक गणेश प्रसाद यादव. आज जब देश कारगिल विजय दिवस मना रहा है तो शहीदों के परिजनों के आंखों से आंसू छलक उठे हैं लेकिन शहीद गणेश के बूढ़े माता पिता को इस बात का मलाल है कि जिस बेटे ने देश के लिए प्राणों की आहुति दे दी उसी के परिवार को सरकार भूल गई है.
सरकार के किए तमाम वादे आज भी अधूरे
शहीद गणेश प्रसाद के परिवार से सरकार की तरफ से किए गए तमाम वादे आज भी अधूरे हैं. बता दें कि कारगिल युद्ध के दौरान 29 मई 1999 को बटालिक सेक्टर से प्वाइंट 4268 पर चार्ली कंपनी की अगुवाई कर रहे नायक गणेश प्रसाद यादव शहीद हो गए थे. देश की सुरक्षा चक्र में कारगिल युद्ध को भूला नहीं जा सकता, जहां हमारे देश की रक्षा के लिए 527 जवानों ने शहादत दी थी. इसी दिन को लेकर पूरा देश विजय दिवस मनाता है. इस अवसर पर कारगिल शहीदों को याद किया जाता है. 26 जुलाई 1999 को भारतीय सेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को कारगिल से खदेड़ कर 'ऑपरेशन विजय' को पूर्ण किया था.
परिवार को शहीद गणेश यादव पर गर्व
बता दे की 30 जनवरी 1971 को बिहटा के पाण्डेयचक गांव निवासी रामदेव यादव और बचिया देवी के घर गणेश यादव का जन्म हुआ था. गणेश प्रसाद यादव बचपन से ही सेना में जाना चाहते थे. मैट्रिक की परीक्षा देने के बाद ही सेना में भर्ती हुए. उनकी शादी 1994 में पुष्पा राय से हुई थी. शादी के बाद उनके दो बच्चे हुए. इनके नाम अभिषेक और ज्योति हैं. अभिषेक सैनिक स्कूल से ग्रेजुएशन कर चुका है और बेटी मेडिकल की पढ़ाई कर रही है. कारगिल दिवस जब भी आता है, उनकी शहादत की घटना को याद कर पत्नी पुष्पा देवी, पिता रामदेव यादव और माता बचिया देवी का कलेजा गर्व से चौड़ा हो जाता है.
अंतिम दर्शन करने पहुंचे थे राबड़ी देवी और लालू यादव
24 साल पहले शहीद हुए गणेश प्रसाद अंतिम दर्शन के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और लालू यादव भी पहुंचे थे. गांव की बदहाली को देखते हुए घोषणाओं की झड़ी लगा दी गई थी. इनमें शहीद के नाम पर गांव तक जाने के लिए पक्की सड़क, अस्पताल और स्कूल सबसे अहम था. इससे पूरे क्षेत्र के लोग भी सरकार से प्रभावित और उत्साहित हुए थे. सरकार ने अपने खर्चे से स्कूल का भवन बना दिया. लेकिन आज तक उसे प्राथमिक विद्यालय का दर्जा नहीं मिला. अब भी उसमें एक शिक्षक का इंतजार है.
कई योजनाओं से वंचित
इधर बेटे के शहीद होने पर शहीद की मां बचिया देवी बताती हैं कि अपने बेटे को खोने का गम तो बहुत है लेकिन गर्व भी है. 24 साल बीतने के बाद भी उसकी यादें आज भी हमारे सीने में दफन है. राज्य सरकार के तरफ से जो वादे किए गए थे उसे अभी तक सरकार पूरा नहीं की है.'कुछ वादे तो केंद्र सरकार की तरफ से पूरे किये गये लेकिन राज्य सरकार के तरफ से किए गए वादे अभी भी अधूरे हैं. यहां तक कि सरकारी लाभ भी हमें ठीक से नहीं मिल पाया है. पेंशन मिल रही है लेकिन अब उसमें से भी पैसा कट रहा है और नई पेंशन नीति के तहत हमारी पेंशन नहीं बढ़ी है. इंदिरा आवास हो या राशन कार्ड हो उन सभी योजनाओं से हम वंचित हैं.
24 साल बाद भी सरकार के वादे अधूरे
वहीं शहीद के पिता रामदेव यादव बताते हैं कि आज कारगिल युद्ध को पूरे हुए 24 साल हो गए है, लेकिन 24 साल बाद भी सरकार के कई वादे अधूरे है. शहीद के पिता ने बताया कि गांव में तत्कालीन प्रदेश के मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और लालू प्रसाद यादव ने शहीद गणेश यादव के नाम पर सड़क, अस्पताल, विद्यालय एवं सामुदायिक भवन से बनाने का वादा किया था. सामुदायिक भवन और विद्यालय बनकर तैयार है. इसके बावजूद भी इसमें कोई व्यवस्था अभी तक सुचारू रूप से चालू नहीं हो सकी है. यहां तक कि उनके पिता बताते हैं कि पहले तो बड़ा बेटा देश के लिए शहीद हुआ और छोटा बेटा को प्रकृति की गोद में समा गया कुछ साल पूर्व सोन नदी में डूबने से उसकी भी मौत हो गई, लेकिन सरकार की तरफ से भी कोई मदद नहीं मिल पाई है.
इनपुट- इश्तियाक खान