Smartphone Addiction: अगर आपका बच्चा भी स्मार्टफोन के लिए बिना खाना नहीं खाता है, अकसर स्मार्टफोन के लिए जिद करता है या फिर अधिक से अधिक टाइम स्क्रीन पर बिताता है तो आप अच्छे मम्मी पापा नहीं हैं.
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अपना बच्चा सभी को प्यारा लगता है और लगना भी चाहिए. शायद ही कोई मम्मी पापा होंगे, जिनको अपने बच्चे से ज्यादा दूसरे के बच्चे प्यारे लगते हों. बच्चों पर आप जान छिड़कते हो. उनके खान पान, रहन सहन, पहनावा पोशाक आदि का कितना ख्याल रखते हैं. कई बार आप अपनी औकात से बाहर जाकर भी बच्चों की खुशी के लिए काफी कुछ करते हैं, लेकिन एक छोटी सी भूल जो आजकल आम बात हो गई, सभी करते दिख रहे हैं. वो छोटी सी भूल यह है कि बच्चों के हाथ में स्मार्टफोन देना और उसे व्यस्त रखकर अपना कोई काम करना. यह जाने या अनजाने बिना कि स्मार्टफोन कितना बड़ा एडिक्शन है.
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आधुनिक युग में स्मार्टफोन की जरूरत है, इससे किसी को इनकार नहीं होनी चाहिए, लेकिन जरूरत से ज्यादा इसका उपयोग खतरनाक हो सकता है. आजकल देखा जा रहा है कि छोटे बच्चे खाना खाते वक्त स्मार्टफोन का सहारा ले रहे हैं. कई बार स्मार्टफोन न मिलने की वजह से वह सही से भोजन नहीं कर पाते. स्मार्टफोन की लत की वजह से बच्चों का मानसिक और शारीरिक विकास प्रभावित हो रहा है.
पटना की मशहूर क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. बिंदा सिंह ने बताया, सबसे पहले अभिभावकों को इस पर विशेष ध्यान देना होगा कि वह बच्चों को मोबाइल फोन के जरिए खाना खिलाते हैं या या उन्हें बिजी रखने की कोशिश करते हैं, जो निहायत ही गलत है. यह बहुत ही आम चलन होता जा रहा है कि बच्चों को मोबाइल दे दो और खुद कोई काम कर लो. इसके अलावा बच्चे स्मार्टफोन के लिए पैरेंट्स से बार्गेनिंग कर रहे हैं.
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डॉ. बिंदा सिंह के अनुसार, स्मार्टफोन से बच्चों का कंसंट्रेशन खत्म हो जाता है. वे foddy हो जाते हैं. बच्चों की आंखों पर स्मार्टफोन जबर्दस्त कुप्रभाव डालता है और इससे दिमाग भी प्रभावित हुए बिना नहीं रहता. इससे बच्चे फिजिकली और मेंटली कमजोर हो रहे हैं.
डॉ. बिंदा सिंह का कहना है, फिजिकल वर्क न होने से बच्चे मोटापे का शिकार होते जा रहे हैं. एंजायटी और अन्य तरह की बीमारी भी हो हो रही है. कई बार मोबाइल फोन न मिलने की वजह से बच्चे हाथ पैर मारने लगते हैं और अनावश्यक जिद करने लगते हैं. इन सब बातों के लिए अगर कोई दोषी है तो वह उनके माता और पिता हैं.
डॉ. बिंदा सिंह के अनुसार, अभिभावकों को सतर्क हो जाना चाहिए. बच्चों को खेलने के लिए बाहर लेकर जाना चाहिए. उनके साथ ज्यादा से ज्यादा समय गुजारें और उन्हें लाइब्रेरी ले जाएं. स्कूल में असाइनमेंट दिया जाता है तो बच्चे इंटरनेट के सहारे उसे पूरा करते हैं. ऑनलाइन क्लास के नाम पर स्मार्टफोन यूज कर अपना स्क्रीनटाइम बढ़ाते हैं.
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उनका यह भी कहना है कि बच्चों के जीवन के साथ बहुत गलत हो रहा है. स्कूल को भी असाइनमेंट स्कूल में कंप्लीट करवानी चाहिए. उन्होंने रील बनाने वाले बच्चों को लेकर कहा, उनके पास रील बनाने के लिए बहुत समय है. अभी पढ़ने-लिखने का वक्त है. रील के लिए बच्चे जान जोखिम में डाल रहे हैं. इस ओर विशेष ध्यान देना चाहिए.