Gopashtami Story 2022: गोपाष्टमी व्रत की ये है कथा, जानिए कैसे पड़ा श्रीकृष्ण का नाम गोपाल
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Gopashtami Story 2022: गोपाष्टमी व्रत की ये है कथा, जानिए कैसे पड़ा श्रीकृष्ण का नाम गोपाल

Gopashtami 2022 Story: श्रीमद्भागवत पुराण में वर्णित कथा के अनुसार, श्री कृष्ण ने जब 6 वर्ष की आयु में कदम रखा तो मां यशोदा से उन्होंने गाय चराने की इच्छा जताई. उन्होंने कहा कि ‘मैया अब मैं बड़ा हो गया हूं और अब गोपाल बनना चाहता हूं. 

Gopashtami Story 2022: गोपाष्टमी व्रत की ये है कथा, जानिए कैसे पड़ा श्रीकृष्ण का नाम गोपाल

पटनाः Gopashtami 2022 Story: गोपाष्टमी का पर्व भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा शुरू किया गया था. इस पर्व-व्रत और उत्सव का इतिहास 5000 साल पुराना है. गाय माता को सनातन परंपरा में सबसे उच्च दर्जा प्राप्त है. वह अपने दूध से हमारा पोषण करती है, इसलिए उसे माता की तरह पूजते हैं. गौ सेवा करने से मनुष्य को मोक्ष और परमपद की प्राप्ति होती है, ऐसा पुराणों में वर्णन है. हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को गोपाष्टमी मनाई जाती है. गोपाष्टमी से संबंधित कथा का वर्णन श्रीमद्भागवत पुराण में वर्णन है. 

ये हो गोपाष्टमी की कथा
श्रीमद्भागवत पुराण में वर्णित कथा के अनुसार, श्री कृष्ण ने जब 6 वर्ष की आयु में कदम रखा तो मां यशोदा से उन्होंने गाय चराने की इच्छा जताई. उन्होंने कहा कि ‘मैया अब मैं बड़ा हो गया हूं और अब गोपाल बनना चाहता हूं. गायपालकों को उस समय गोपाल कहा जाता था. उन्होंने कहा कि वह गाय चराना चाहते हैं’ इस पर माता यशोदा ने उन्हें समझाते हुए कहा कि ‘शुभ-मुहूर्त आने पर मैं तुम्हें जरूर गोपाल बनाउंगी.’ 

ऐसे शुरू हुआ गोपूजन
उसी समय शाण्डिल्य ऋषि भी उनके यहां पहुंच गए. उन्होंने श्री कृष्ण की जन्मपत्री देख कर कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को गौचारण का शुभ-मुहूर्त निकाला. इसके बाद माता यशोदा ने उनका श्रंगार किया और जैसे ही उन्हें जूतियां पहनाने लगीं. उन्होंने जूतियां पहनने से ये कहते हुए इनकार कर दिया कि ‘मेरी गईयां भी तो नंगे पैर ही रहती हैं, फिर मैं जूती कैसे पहनूं.’ गायों का रक्षक होने के कारण ही भगवान श्री कृष्ण का नाम ‘गोविंद’ पड़ा और साथ ही गोपालन के कारण उन्हें गोपाल भी कहा जाने लगा. उन्होंने इसी दिन से गोपूजन करके गोपाष्टमी व्रत की नींव रखी. 

 

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