शिक्षा मंत्री डॉ. चंद्रशेखर के सरकारी आप्त सचिव ने विभाग के अपर मुख्य सचिव को एक पत्र लिखा था. उन्होंने अपने पत्र के माध्यम से कहा कि कई मामलों देखा जा रहा है कि सरकार के कार्य संहिता के हिसाब से काम नहीं कर पा रहे हैं.
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पटना: बिहार का शिक्षा विभाग किसी ना किसी मुद्दे को लेकर हमेशा चर्चा में बना रहता है. विगत कुछ दिनों से शिक्षा विभाग के पत्रों को लेकर घमासान मचा हुआ है. विभिन्न पार्टी के नेता अपनी प्रतिक्रिया जाहिर कर रहे हैं. इस मामले पर आरजेडी महिला प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष रितु जायसवाल ने भी अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की है. उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर शिक्षा विभाग के पत्रों को चोरी-छिपे लीक करने की प्रवृत्ति पर हमेशा के लिए रोक लगानी चाहिए. उनकी इसी बात पर प्रशासनिक निदेशक सुबोध कुमार चौधरी भड़क गए और आप्त सचिव के डिग्री पर सवाल खड़ा कर दिया.
रितु जायसवाल ने ट्वीट करते हुए कहा कि 'शिक्षा विभाग के पत्रों को चोरी-छिपे पत्रों को लीक कर रहा है. उन्होंने सिर्फ इस पर अंकुश लगाने की बात कहीं. साथ ही रितु ने शिक्षा मंत्री के आप्त सचिव ने विभागीय पदाधिकारियों से आईपीआरडी के एसओपी का पालन करने को कहा, तो निदेशक उनकी इस बात पर भड़क गए. उन्होंने सीधे ही आप्त सचिव से पूछ लिया कि जो लोग अपने नाम के आगे डॉ. लगाते हैं, वो लोग इस बात का सबूत दें कि वो उच्च शिक्षण संस्थान में प्राध्यापक रह चुके हैं?
रितु जायसवाल ने आगे कहा कि पीएचडी या एमबीबीएस डिग्री जिसके पास है वो कोई भी नागरिक अपने नाम के आगे 'डॉ.' लगा सकता है. इधर, सरकारी सेवकों को भी अपनी तरफ से एक बार सोचना चाहिए कि वो स्वयं तो एक बार परीक्षा पास करके रिटायरमेंट तक अपने पद पर बने रहते हैं, लेकिन मंत्रियों और विधायकों को जनता के बीच जाकर हर पांच साल में अग्निपरीक्षा देनी पड़ती है.
जानकारी के लिए बता दें कि शिक्षा मंत्री डॉ. चंद्रशेखर के सरकारी आप्त सचिव ने विभाग के अपर मुख्य सचिव को एक पत्र लिखा था. उन्होंने अपने पत्र के माध्यम से कहा कि कई मामलों देखा जा रहा है कि सरकार के कार्य संहिता के हिसाब से काम नहीं कर पा रहे हैं. उन्होंने इस पत्र के माध्यम से आप्त सचिव को ही कड़ी फटकार लगाई है.
इनपुट- भाषा
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