Bihar Education Department: कहां जाता है 21% शिक्षा बजट? क्लास को बना दिया किचन, बच्चे सर्दी में जमीन पर बैठ कर रहें पढ़ाई
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Bihar Education Department: कहां जाता है 21% शिक्षा बजट? क्लास को बना दिया किचन, बच्चे सर्दी में जमीन पर बैठ कर रहें पढ़ाई

Motihari News: बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के मोतिहारी के रामगढ़वा के एक सरकारी स्कूल में बच्चों के जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. किचन के अभाव में क्लास में ही गैस सिलेंडर रख खाना बनाया जा रहा है. इसके साथ ही इतनी ठंड में भी बेंच के अभाव में बच्चे जमीन पर बैठ पढ़ाई करने को मजबूर हैं.

 

कहां जाता है 21% शिक्षा बजट? क्लास को बना दिया किचन, बच्चे सर्दी में जमीन पर बैठ कर रहें पढ़ाई

Motihari News: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद राजधानी पटना से चलकर गांव में प्रगति देखने प्रगति यात्रा पर आ रहे हैं. इस यात्रा में नीतीश सरकार मोतिहारी के सुगांव में आने का प्रस्ताव है. लिहाजा सुगांव को सुंदर बनाने में प्रशासन जुट गया है. इस गांव के सड़क, बिजली, नलजल, पोखरा, स्कूल सबको रंगरोगन कर नया लुक दिया जा रहा है, लेकिन सुगांव से मात्र 15 किलोमीटर दूर रामगढ़वा के एक सरकारी स्कूल में बच्चे के जान से खिलवाड़ किया जा रहा है. पूरे स्कूल भवन को बम बनाकर रखा गया है. जो कभी फट जाए तो कई बच्चों की जान जा सकती है. पूरा मामला रामगढ़वा प्रखंड के राजकिए प्राथमिक स्कूल बलुआ टोला का है. 

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बजट का 21% हिस्सा शिक्षा पर होता खर्च 
बिहार सरकार कुल बजट का 21% हिस्सा शिक्षा पर खर्च करती है. जिससे स्कूलों में शिक्षा और सुविधा दोनों बेहतर हो सकें, लेकिन मोतिहारी जिले के रामगढ़वा प्रखंड से राजकीय प्राथमिक स्कूल बलुआ की कुछ तस्वीर सामने आई है. इन तस्वीरों को देखकर लगता है कि शिक्षा का बजट सिर्फ फाइलों में घूम रहा है. 

सरकारी स्कूलों में सुविधा का अभाव 
स्कूलों में सुविधाओं का बहुत ज्यादा अभाव है. राजकीय प्राथमिक स्कूल बलुआ में किचन के अभाव में क्लास रूम में गैस का सिलेंडर रखकर एमडीएम का खाना बनाया जाता है. शिक्षा के मंदिर को बम का गोला बनने में देर नहीं लगेगी. अगर कहीं कोई अनहोनी हुई तो क्लास रूम के कितने बच्चे को अपने जान से हाथ धोना पड़ेगा. 

स्कूल में बच्चों के जान के साथ खिलवाड़ 
तस्वीर देख कर साफ तौर पर अंदााजा लग सकते हैं कि स्कूलों में बच्चों के जान के साथ कितना बड़ा खिलवाड़ किया जा रहा है. वहीं, दूसरी तरफ इसी स्कूल में वर्ग 1 और वर्ग 2 के बच्चे बेंच के अभाव में इतनी ठंड में भी जमीन पर बैठकर पढ़ने पर मजबूर हैं. जिस ठंड में हम बिना गर्म कपड़े के घर से बाहर तक नहीं निकल सकते. इतने ठंड में ये छोटे-छोटे बच्चे तिरपाल बीछा जमीन पर बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं. 

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स्कूल में किचन और बेंच का अभाव 
इस संबंध में स्कूल के हेडमास्टर का कहना है कि यहां किचन का अभाव है. घटना कहकर नहीं आता... कभी भी घटना हो सकता है. 40 बेंच मिला था तो दो रूम में लगा दिए है. जिसमें वर्ग 3, 4 और वर्ग 5 के बच्चे पढ़ते हैं. पहले और दूसरे वर्ग के बच्चों के लिए बेंच नहीं है. इसलिए इन्हें जमीन पर बैठकर पढ़ना पड़ता है.

इनपुट - पंकज कुमार 

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