Rajendra Prasad Jayanti: भारत के पहले राष्ट्रपति के बारे में जानिए सबकुछ
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Rajendra Prasad Jayanti: भारत के पहले राष्ट्रपति के बारे में जानिए सबकुछ

Rajendra Prasad Jayanti: साल 1917 में उन्हें महात्मा गांधी द्वारा बिहार में ब्रिटिश नील बागान मालिकों द्वारा शोषित किसानों की स्थिति में सुधार के अभियान में मदद करने के लिए भर्ती किया गया था.

डॉ राजेंद्र प्रसाद की आज जयंती (File Photo)

Rajendra Prasad Jayanti: भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर, 1884 को ज़िरादेई, बंगाल प्रेसीडेंसी (वर्तमान बिहार) में हुआ था. डॉ. राजेंद्र प्रसाद एक वकील, शिक्षक, लेखक और भारत के स्वतंत्रता सेनानी थे. उन्होंने 1950 से 1962 तक भारत के प्रथम राष्ट्रपति का पद संभाला. भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान राजेंद्र प्रसाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए. 

डॉ राजेंद्र प्रसाद बिहार क्षेत्र के प्रमुख नेताओं में से एक के रूप में उभरे और महात्मा गांधी के प्रबल समर्थक थे. वह भारत के पहले और सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले राष्ट्रपति थे और उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया. उन्होंने 1931 के 'नमक सत्याग्रह' और 1942 के 'भारत छोड़ो आंदोलन' में सक्रिय रूप से भाग लिया. उन्हें कई प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों के साथ जेल में डाल दिया गया. डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने भारतीय संविधान के निर्माण में बड़ी भूमिका निभाई थी. उन्हें 1962 में सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया. डॉ. राजेंद्र प्रसाद का 28 फरवरी, 1963 को 78 वर्ष की आयु में निधन हो गया.

डॉ. राजेंद्र प्रसाद के बारे में सबकुछ
मामूली साधनों वाले एक ज़मींदार परिवार में पले-बढ़े, प्रसाद कलकत्ता लॉ कॉलेज से स्नातक थे. उन्होंने कलकत्ता उच्च न्यायालय में वकालत की और 1916 में पटना उच्च न्यायालय में स्थानांतरित हो गये और बिहार लॉ वीकली की स्थापना की.

साल 1917 में उन्हें महात्मा गांधी द्वारा बिहार में ब्रिटिश नील बागान मालिकों द्वारा शोषित किसानों की स्थिति में सुधार के अभियान में मदद करने के लिए भर्ती किया गया था. उन्होंने असहयोग आंदोलन में शामिल होने के लिए 1920 में अपनी वकालत छोड़ दी.

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वह बिहार के एक कॉलेज में अंग्रेजी के प्रोफेसर थे लेकिन बाद में उन्होंने कानून की डिग्री हासिल की. कानून की पढ़ाई के दौरान डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने कोलकाता के एक कॉलेज में पढ़ाया भी. बाद में उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से कानून में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की.

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