नवादा: ठिठुर कर रात गुजार रहे हैं विस्थापित परिवार के लोग, आग जलाकर गुजारा करने को मजबूर
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नवादा: ठिठुर कर रात गुजार रहे हैं विस्थापित परिवार के लोग, आग जलाकर गुजारा करने को मजबूर

ठंड के बीच सबसे ज्यादा परेशानी खुले आसमान के नीचे रहने वाले गरीब परिवार और रिक्शा चालकों को हो रही है. ऐेसे गरीब परिवार के लोग सड़क किनारे आग जलाकर रात गुजारने को विवश हैं. वहीं बिहार के नवादा में रजौली प्रखंड मुख्यालय से 3 किलोमीटर दूर हरिया में इन दिनों ठंड से लड़ने के लिए 23 गरीब परिवार आग का सहारा ले रहे हैं.

नवादा: ठिठुर कर रात गुजार रहे हैं विस्थापित परिवार के लोग, आग जलाकर गुजारा करने को मजबूर

नवादा: ठंड के बीच सबसे ज्यादा परेशानी खुले आसमान के नीचे रहने वाले गरीब परिवार और रिक्शा चालकों को हो रही है. ऐेसे गरीब परिवार के लोग सड़क किनारे आग जलाकर रात गुजारने को विवश हैं. वहीं बिहार के नवादा में रजौली प्रखंड मुख्यालय से 3 किलोमीटर दूर हरिया में इन दिनों ठंड से लड़ने के लिए 23 गरीब परिवार आग का सहारा ले रहे हैं. इस ठंड से लड़ने के लिए ना तो उनके सिर पर छत है और नहीं उनके पास प्लास्टिक के तंबू और बदन ढकने के लिए गर्म कपड़े है. वहीं अपने बच्चों और बुजुर्ग के जीवन रक्षा के लिए आग जलाकर इस ठंड में रात गुजारने को विवश है. 

ठंड में काफी परेशान है लोग 
विस्थापित परिवार ऐसे नहीं है कि वह परिवार किसी दूसरे मुल्क से आकर यहां बसे हो, बल्कि इनका जन्म ही यही हुआ है और यही बड़े हुए हैं. लेकिन साल 1985 में फुलवरिया डैम का निर्माण होने के कारण इन लोगों को वहां से विस्थापित कर हरिया में जगह देकर बसाया गया था, लेकिन कुछ दिन पहले सिंचाई विभाग की भूमि पर अतिक्रमण कर घर बनाने के आरोप में इन लोगों के घर पर बुलडोजर चला दिया और इन लोगों को बेघर कर दिया गया. जी मीडिया की टीम इन विस्थापित परिवारों का दर्द को जानने के लिए देर रात 12 बजे इनके बीच पहुंची और उनकी समस्या को अपनी आंखों से देखा. 

जानवरों का मंडराता रहता डर 
जानकारी के मुताबिक प्लास्टिक के तंबू में रह रहे विस्थापित परिवार को ठंड बर्दाश्त नहीं हो रही थी. रात में आग जलाकर लोग ठंड को बर्दाश्त कर रहे थे. वहां एक महिला ने बताया कि ठंड लगती है तो प्लास्टिक के तंबू से बाहर निकल कर अपने बच्चों को गोद में लेकर आग के पास बैठते हैं. ताकि बच्चे और बुजुर्ग के साथ हम लोग भी इस ठंड में आग के सहारे ही जीवित रह सकें. अगर प्लास्टिक के तंबू के अंदर हम लोग आग जलाएंगे तो हम लोगों की जान भी जा सकती है. इसलिए बाहर आकर आग जलाकर बैठना पड़ता है. विस्थापित परिवार ने जिस जगह प्लास्टिक के तंबू गाड़ रखे हैं, उससे कुछ दूरी पर ही जंगल का एरिया शुरू होता है. जिसके वजह से इन परिवारों को जंगली जानवरों का डर भी हमेशा सताता रहता है.

विधानसभा में भी उठी विस्थापितों को बसाने की मांग 
बता दे कि बिहार विधानसभा शीतकालीन सत्र के दौरान 16 दिसंबर को बिहार के जहानाबाद जिले के घोसी से भाकपा माले के विधायक रामबली सिंह यादव ने रजौली के हरिया में विस्थापित परिवार को कोर्ट के आदेश पर अतिक्रमण हटाने के नाम पर इन लोगों को बेघर किया गया था, उन्हें फिर से बसाने की उन्होंने विधानसभा में आवाज उठाई थी. विधायक द्वारा विधानसभा में आवाज उठाने के बाद भी इन विस्थापित परिवारों को इस कड़ाके की ठंड में भी देखने के लिए कोई अधिकारी नहीं पहुंच रहे हैं. 

इनपुट- यशवंत कुमार सिन्हा

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