गर्मी में तरबूज ने किसानों का उतारा पसीना, लागत मूल्य भी नहीं मिलने से मुश्किल हुआ जीना!
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गर्मी में तरबूज ने किसानों का उतारा पसीना, लागत मूल्य भी नहीं मिलने से मुश्किल हुआ जीना!

कोरोना की मार ने तरबूज के बाजार को भी बुरी तरह से प्रभावित किया है. 

गर्मी में तरबूज ने किसानों का उतारा पसीना. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Patna: जब भीषण गर्मी हो और पानी के लिए गला सूख रहा हो, तब तरबूज खाने के लिए मिल जाए तो न सिर्फ गले को तरावट मिलती है बल्कि इस सीजनल फल के स्वाद का आनंद भी दोगुना हो जाता है. तभी तो जैसे ही सूरज की तपिश बढ़ती है, बाजार में तरबूज की फसल की बाढ़ आ जाती है और इसके स्वाद के शौकीन बाजार में पहुंच जाते हैं. लेकिन इस बार कोरोना की मार ने तरबूज के बाजार को भी बुरी तरह से प्रभावित किया है. 

15 की बजाए 2 रुपए किलो बिक रहा तरबूज
बता दें कि गर्मी के सीजन में जो तरबूज करीब 15 रुपए किलो तक आसानी से बिक जाता था, आज उसको खरीदने वाले नहीं हैं. जिसके चलते किसान इसे 2 रुपए किलो तक बेचने को मजबूर हैं.

नेपाल बॉर्डर बंद, बगहा के किसान परेशान
बगहा के किसानों पर कोरोना की मार कुछ ज्यादा ही पड़ी है. दरअसल, बगहा जिले के तरबूज का मुख्य बाजार नेपाल है. किसान नेपाल को ही अपने तरबूज की सप्लाई करते हैं. लेकिन कोरोना के चलते नेपाल बॉर्डर बंद कर दिया गया है. बॉर्डर को सील किए जाने से आवाजाही पूरी तरह से रुक गई है. ऐसी हालत में बगहा के किसानों का तरबूज नेपाल नहीं पहुंच पा रहा है. मजबूर किसानों की तैयार फसल बिकवाली के अभाव में खेत में पड़े-पड़े बर्बाद हो रही है. 

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किसानों पर टूटा मुसीबतों का पहाड़!
बगहा में सैकड़ों एकड़ दियारे की जमीन पर तरबूज की खेती होती है. बगहा से हर साल तरबूज की सप्लाई न सिर्फ नेपाल बल्कि उत्तरप्रदेश, दिल्ली, झारखंड और पंजाब के बाजारों तक होती है. लेकिन, इस साल जैसे ही तरबूज की फसल तैयार हुई वैसे ही लॉकडाउन लग गया. अब तरबूज की तैयार फसल खरीददारों के अभाव में खेतों में सड़ रही है. किसान परेशान हैं कि वे करें तो क्या करें. 

कर्ज के बोझ तले दबे किसान!
वहीं, फसल की लागत निकालना भी मुश्किल हो गया है. कर्ज लेकर लगाई गई फसल के खेत में बर्बाद होने से किसानों को भारी नुकसान हुआ है. जो तरबूज पहले इलाके के किसानों के लिए लाखों की कमाई का साधन होता था, उसने आज इन्हें लाखों के कर्ज में ढकेल दिया है. यह कोरोना काल तरबूज की खेती करने वाले किसानों के लिए कहर बनकर टूटा है. 

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