गृह मंत्री अमित शाह पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि आने वाला चुनाव बीजेपी चेहरे की घोषणा करने के बाद लड़ेगी. लेकिन दिक्कत ये है कि लालू-नीतीश-तेजस्वी की तिकड़ी इनपर बहुत भारी पड़ती है.
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पटना: जेपी की जन्मस्थली पर देश के गृह मंत्री अमित शाह आए तो साथ में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ भी आए. दमदार भाषण दिया. वैसे तो योगी लगातार दूसरे राज्यों में जाकर बीजेपी का प्रचार करते हैं लेकिन वो चुनाव की बात है. इस बार मौका चुनाव का नहीं था, लिहाजा इसके मायने निकाले जा रहे हैं.
योगी ने समझाया यूपी मॉडल
सिताबदियारा में योगी ने लोगों को संबोधित करते हुए बिहार की कमजोर नस को दबाने में देर नहीं की. उन्होंने जहां बिहार में अपराध की चर्चा की, वहीं बाढ़ को लेकर साथ में काम करने की इच्छा भी जता दी. योगी ने लोगों को बाढ़ से निजात दिलाने का यूपी मॉडल समझाया.
उन्होंने कहा कि बाढ़ को रोकने के लिए नदी की ड्रेजिंग जरूरी है, जिससे नदियों का पानी तेजी से निकल जाए. योगी ने दावा किया कि यूपी में साल 2017 के पहले 38 जिले ऐसे थे, जहां भीषण बाढ़ आती थी. आज केवल 3 से 4 जिले ऐसे हैं जहां बाढ़ आ पाती है.
बीजेपी ने शुरू की तैयारी
दरअसल बिहार में गठबंधन की राह पर बीजेपी घायल हो चुकी है. अब वो अकेले आगे का रास्ता तय करना चाहती है. वैसे इसके सिवा उसके पास फिलहाल कोई चारा भी नहीं है. लिहाजा अभी से ही बीजेपी ने 2024 में होने वाले लोकसभा और 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है. कोई ताज्जुब नहीं कि बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह ने पिछले बीस दिन के अंदर दो बार बिहार के चक्कर लगाए हैं. बीजेपी संगठन के स्तर पर भी बिहार में खुद को मजबूत बनाने के लिए लगातार कार्यक्रम चला रही है.
बिहार में बीजेपी को चाहिए चेहरा
लेकिन बिहार की जंग अकेले जीतने के लिए बीजेपी को एक चेहरा चाहिए और वो चेहरा देश के गृहमंत्री नहीं हो सकते. लेकिन राज्य के अंदर बीजेपी के पास ज्यादा विकल्प नजर नहीं आते. सुशील मोदी हैं, विजय सिन्हा हैं.
मोदी, सिन्हा या कोई और?
राज्यसभा सांसद सुशील मोदी और विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय कुमार सिन्हा लगातार महागठबंधन सरकार पर सवाल उठा रहे हैं. नीतीश भी बार-बार कह चुके हैं कि ये लोग बयानबाजी के जरिए अपनी पार्टी में कुछ पाना चाहते हैं.
वैसे, गृह मंत्री अमित शाह पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि आने वाला चुनाव बीजेपी चेहरे की घोषणा करने के बाद लड़ेगी. लेकिन दिक्कत ये है कि लालू-नीतीश-तेजस्वी की तिकड़ी इनपर बहुत भारी पड़ती है. ऐसे में जयप्रकाश नारायण की जयंती के मौके पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आने को इसी से जोड़ कर देखा जा रहा है.
क्या बीजेपी किसी चेहरे के न रहने की स्थिति में योगी को आगे कर बिहार को फतह करना चाहती है? कहा तो यहां तक जा रहा है कि योगी का बिहार आना कोई बड़ी रणनीति का हिस्सा है. बीजेपी के प्रवक्ता संतोष पाठक कहते हैं कि बीजेपी का प्रत्येक कार्यकर्ता पार्टी के लिए काम करता है, पार्टी जो दायित्व देती है, उसे निभाता है. पाठक कहते हैं कि योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली अतुलनीय है. उन्होंने दावा किया कि उत्तर प्रदेश में अपराधी गिरोहों का सफाया कर दिया गया.
आज देश के सर्वश्रेष्ठ मुख्यमंत्रियों में इनकी गिनती होती है. संतोष पाठक अगर इस ओर इशारा करना चाहते हैं कि योगी को बिहार लाया जा सकता है तो ये बहुत दूर की कौड़ी लगती है.
योगी के चुनाव के इतने पहले बिहार आने, इसको लेकर कयासों का अभी बहुत ज्यादा मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए. आलाकमान योगी को यूपी छोड़ बिहार आने के लिए कहेगा, ऐसा नहीं लगता. ऐसा होगा तो योगी मान जाएंगे, ये भी नहीं कह सकते.
एक दूसरा सवाल ये है कि योगी यूपी में जितने कारगर हैं, उतने ही बिहार में भी असरदार होंगे? यूपी में पार्टी ध्रुवीकरण की राह पर सरपट भाग रही है. कथित लव जिहाद कानून हो या फिर जब तक हिंदुत्वा ग्रुप्स का खुलेआम कानून तोड़ना. लेकिन बिहार जरा अलग है, यहां आकर बड़े-बड़े रथ रुक जाते हैं. बुलडोजर यहां की दियारा में फंस सकता है. ये मॉडल यहां की मिट्टी के लिए शायद मुफीद नहीं है.