संस्कृत विद्यालय के एचएम पर अपने पुत्र को अवैध तरीके से बहाली करने का सचिव ने लगाया आरोप
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संस्कृत विद्यालय के एचएम पर अपने पुत्र को अवैध तरीके से बहाली करने का सचिव ने लगाया आरोप

Bihar News: विद्यालय अनुमोदन समिति के सचिव योगेन्द्र प्रसाद चौधरी का आरोप है कि विद्यालय के हेडमास्टर शैलेंद्र चौधरी ने अवैध तरीके से फर्जीवाड़ा कर अपने ही पुत्र संजीव कुमार सुमन को इसी विद्यालय में शिक्षक के पद पर बहाली करवा लिया है.

फाइल फोटो-  सह मध्य संस्कृत विद्यालय

पटना : शिक्षा विभाग में एक पर एक कारनामे सुर्खियों में आए दिन आती रहती है. ताजा मामला राघोपुर प्रखंड के राघोपुर वार्ड नंबर 5 में अवस्थित फेकु लाल प्राथमिक सह मध्य संस्कृत विद्यालय का है. जहां स्थानीय लोगों ने स्कूल पहुंच कर हंगामा किया है. विद्यालय अनुमोदन समिति के सचिव व स्थानीय लोगों ने बताया कि उक्त विद्यालय में फर्जी तरीके से विद्यालय के एचएम ने अपने ही पुत्र को शिक्षक के पद पर बहाली करवाया है. विद्यालय के सचिव ने आरोप लगाया है कि एचएम ने अपने पद और रसूख के दम पर अपने ही विद्यालय में फर्जी तरीके से अपने पुत्र की बहाली करवा लिया और सचिव को पता भी नहीं चल पाया.

विद्यालय अनुमोदन समिति के सचिव योगेन्द्र प्रसाद चौधरी का आरोप है कि विद्यालय के हेडमास्टर शैलेंद्र चौधरी ने अवैध तरीके से फर्जीवाड़ा कर अपने ही पुत्र संजीव कुमार सुमन को इसी विद्यालय में शिक्षक के पद पर बहाली करवा लिया है. साथ ही कहा कि उनका फर्जी हस्ताक्षर और मुहर का भी इस फर्जीवाड़ा में उपयोग किया गया है. साथ ही सचिव ने एचएम पर इसको लेकर अन्य माध्यम से प्रलोभन देने का भी आरोप लगाया है.

विद्यालय अनुमोदन समिति के सचिव योगेंद्र चौधरी ने इस मामले की एक लिखित आवेदन बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड के सचिव देकर इसकी जांच की मांग की है. आवेदन की प्रति राज्यपाल महोदय और सीएम को भी भेजा गया है. वहीं आरोपी एचएम के पुत्र शिक्षक संजीव कुमार ने बताया कि सहायक शिक्षक के रूप में उसकी बहाली 2013 में हुई. लेकिन वेतन नहीं मिलने के कारण वे विद्यालय कभी कभार आते थे. अब 01 फरवरी 2024 से विद्यालय रेगुलर आने लगे हैं. साथ ही कहा कि इसी विद्यालय में उनके पिता जी हेडमास्टर भी है.

हालांकि इस बाबत कैमरे पर एचएम शैलेन्द्र चौधरी ने कुछ भी बोलने से परहेज किया लेकिन उन्होंने कहा कि 2013 में उनके पुत्र की बहाली हुई. लगाए गए आरोप में कितनी सच्चाई है यह तो विभागीय जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा. मामले की गंभीरता को देखते हुए विभाग को इसकी जांच कर समुचित पहल की जानी चाहिए। ताकि भविष्य में कोई फर्जीवाड़ा नहीं कर सके।

रिपोर्ट : सुभाष चंद्रा

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