Hijab Controversery: मुजफ्फरपुर के महंत दर्शन दास महिला कॉलेज की छात्राओं का आरोप है कि वो जब परीक्षा देने गईं तो उनसे जबरन हिजाब उतरवाया गया.
Trending Photos
Hijab Controversery: कर्नाटक के बाद बिहार में भी हिजाब विवाद सामने आया है. ईरान से लेकर हिन्दुस्तान तक हिजाब पर माहौल गर्म है. क्या महिलाओं को हिजाब पहनने की आजादी होनी चाहिए? क्या उन्हें जबरन हिजाब पहनने को मजबूर करना चाहिए?
मुजफ्फरपुर के महंत दर्शन दास महिला कॉलेज की छात्राओं का आरोप है कि वो जब परीक्षा देने गईं तो उनसे जबरन हिजाब उतरवाया गया. उन्हें पाकिस्तानी कहा गया, देशद्रोही कहा गया. कहा गया कि यहां कोई मजहब की प्रतियोगिता नहीं चल रही है कि हिजाब पहनकर आओ.
कॉलेज का कहना है कि चूंकि परीक्षा थी तो छात्राओं को चेक किया जा रहा था कि कहीं उनके पास मोबाइल या ब्लूटूथ तो नहीं है. लड़कियों का आरोप है कि जब उन्होंने ये चेक करा भी दिया तो भी उनसे हिजाब उताने को कहा गया. वहीं, कॉलेज की प्रिंसिपल ने कहा कि कोई चीटिंग न कर ले, इसकी नियम के मुताबिक चेकिंग हो रही थी.
ईरान से लेकर भारत तक हिजाब पर विवाद चल रहा है. ईरान में महिलाएं हिजाब पहनना नहीं चाहतीं. इसे जबरन थोपे जाने के खिलाफ प्रदर्शन कर रही हैं. ईरान की मोरल पुलिस ने जबरन हिजाब लागू करने के लिए इतने जुल्म ढाए हैं कि सैकड़ों प्रदर्शकारियों की मौत हो चुकी है. यहां अपने देश में लड़कियां हिजाब बैन (Hijab Ban) के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रही हैं.
कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के इस फैसले को सही ठहराया कि स्कूल कॉलेजों में ड्रेस कोड के मुताबिक ही पहनावा होना चाहिए. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो वहां से बंटा हुआ फैसला आया. जज हेमंत गुप्ता ने जहां हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया, वहीं दूसरे जज सुंधाशु धूलिया ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ फैसला दिया.
महिलाओं की मांग एक
उन्होंने कहा कि इस केस को धार्मिक आजादी से जोड़ कर नहीं देखना चाहिए. ये दरअसल पर्सनल आजादी का मामला है. च्वाइस का मामला है. और दरअसल यही इस हिजाब विवाद के मूल में होना चाहिए. ईरान और भारत में, हिजाब को लेकर महिलाओं की मांग अलग है. लेकिन गौर कीजिएगा तो पाइएगा कि दोनों जगह महिलाएं एक ही हक मांग रही हैं. चुनने की आजादी. वो क्या पहनें, क्या न पहनें, ये कोई और क्यों तय करे?
बिहार पहुंचा हिजाब विवाद
दुर्भाग्यपूर्ण है कि ये विवाद अब अपने बिहार तक पहुंच गया है. अगर प्रिंसिपल जो कह रही हैं कि वो झूठ नहीं है तो फिर दोषी टीचर के खिलाफ एक्शन होना चाहिए. ये कितना दुर्भाग्यपूर्ण है कि स्कूल-कॉलेज जाने वाले बच्चे पूछ रहे हैं क्या हम देशद्रोही हैं? क्या हमारे दिल में हिंदुस्तान नहीं बसता है. हिन्दुस्तान का कोई भी नागरिक ये पूछने लगे तो हिंदुस्तान पर आंच है क्योंकि हिन्दुस्तान तो इसके नागरिकों में बसता है...सारे नागरिकों में.