शिक्षा प्रणाली में क्रांति ला रही है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, जानिए क्या आ रहा है बदलाव
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शिक्षा प्रणाली में क्रांति ला रही है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, जानिए क्या आ रहा है बदलाव

पीएम मोदी ने भी कई मौकों पर जहां स्टार्टअप को उज्जवल भविष्य बताया है तो साथ ही डिजिटल इंडिया व आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस में भी लगातार शोध होने की जरूरत बताते रहे हैं. 

शिक्षा प्रणाली में क्रांति ला रही है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, जानिए क्या आ रहा है बदलाव

नई दिल्लीः आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, यानी तकनीकि तौर पर वह बौद्धिकता जो मानवीय समझ की तरह ही काम कर रही है. जहां साइंटिस्ट इसके अलग-अलग आयामों पर शोध कर रहे हैं वहीं, धीरे-धीरे यह हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में जगह बनाने लगी है. पीएम मोदी ने भी कई मौकों पर जहां स्टार्टअप को उज्जवल भविष्य बताया है तो साथ ही डिजिटल इंडिया व आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस में भी लगातार शोध होने की जरूरत बताते रहे हैं. इन दोनों सेक्टर को लगातार मिलते प्रोत्साहन और इसके ठोस और अनगिनत फायदे को देखते हुए शिक्षा जगत में भी AI की शुरुआत हो चुकी है. 

AI के जरिए तैयार हो रहे सटीक पाठ्यक्रम
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI के जरिए छात्रों-विद्यार्थियों की बौद्धिक क्षमता को समझते हुए उनके लिए जरूरी और सटीक पाठ्यक्रम तैयार किए जा रहे हैं. कोई छात्र कैसे सीख पा रहा है, इस पर गहन अध्ययन के आधार पर उनके लिए मॉडल बना कर सिखाने का नया पैटर्न विकसित किया गया है. वास्तव में यह एक क्रांति की तरह है, जिससे हर दिन लाखों छात्र लाभान्वित हो रहे हैं. 

छात्रों के लिए पढ़ाई का उन्नत पैटर्न
आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस के इस सकारात्मक पहलू को सामने रखा है, LearnQ.AI ने. एक स्टार्टअप के तौर पर स्थापित इस ऑर्गनाइजेशन ने छात्रों के लिए वह आधुनिक सुविधा मुहैया कराई है, जिसके जरिए वह standardised tests के लिए आसानी से कहीं अधिक प्रवीणता के साथ तैयार हो रहे हैं. शिक्षा के क्षेत्र में इस तरह के क्रांतिकारी अनुसंधान का ये सपना एक लगनशील टीम का है.

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IIT के छात्र रहे डॉ. कुशल सिन्हा और लंबे समय तक शैक्षणिक गतिविधियों में शामिल रहे पीयूष कुमार ने इसकी शुरुआत की और अब यह एक संगठन के तौर पर कार्य करते हुए छात्रों के लिए तेजी से बदल रही तकनीकि व शिक्षा पद्धति के बीच बन गई दूरियों को भर रहा है. 

जरूरी है रचनात्मकता का विकास
इस बारे में डॉ. सिन्हा कहते हैं कि मौजूदा शिक्षा प्रणाली को देखें तो यह 19वीं सदी के दौर में विकसित हुई और तेजी से हो रहे औद्योगीकरण के साथ सामंजस्य बिठाने के लिए लाई गई. इस तरह की पद्धति समाज को कामगार श्रम और श्रमिक तो दे सकती है, लेकिन रचनात्मक प्रतिभा और क्षमता का विकास नहीं कर सकती है. जबकि आज 21वीं सदी को देखें तो दुनिया में हर व्यापार, राजनीति, समाज, संस्कृति सभी का पैटर्न पूरी तरह बदल चुका है. ऐसे में हमें चाहिए कि हम आधुनिक ज्ञान अर्जित करने के साथ रचनात्मक और आलोचनात्मक विचार भी छात्रों में पनप सके. 

ऐसे तैयारी करते हैं छात्र, ये है खास मॉडल
इसी क्षमता की आवश्यकता पूर्ति करता है LearnQ.AI. हर दिन हजारों छात्र LearnQ.AI के जरिए सीख और समझ रहे हैं. इसके डायग्नोस्टिक टेस्ट के जरिए पहले उनकी समझ का परीक्षण किया जाता है. वह पूरी दुनिया में खास तौर पर standardised tests के लिए डिजाइन कई गए खेलों और मॉडलों के जरिए विषय को समझते हैं. एआई इंजन के जरिए छात्रों को उनकी स्पीड, सटीकता और कौशल को परखा जाता है. इसके बाद उनके प्रदर्शन के आधार पर विभिन्न विषयों के विशेषज्ञ सलाहकार भी उनका मार्गदर्शन करते हैं और जरूरत के अनुसार विषय सामग्री मुहैया कराई जाती है. इस तरह की शिक्षा प्रणाली छात्रों को वास्तविकता से भी रूबरू रखती है, साथ ही उन्हें यह समझने में मदद करती है कि असल में जिस तरह के कॉलेज या कोर्स में वह दाखिला चाहते हैं. वहां प्रवेश के लिए कितनी योग्यता और कितनी तैयारी करनी है. आसान भाषा में कहें तो परीक्षाओं और तैयारियों को लेकर सभी तुक्के में तीर चलाते हैं, लेकिन सफल वही होते हैं जिनके अध्ययन में सटीकता होती है. छात्रों के लिए खास तौर पर डिज़ाइन किये गए इस स्टार्टअप में actyv.ai के संस्थापक और ग्लोबल सीईओ रघुनाथ सुब्रमण्यन ने निवेश किया है तथा हल्बे ग्रुप के संस्थापक जयदीप हल्बे सलाहकार हैं.

 

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