Aaj Ka Panchang 16 December: आज धनु संक्रांति, पंचांग में जानिए आज का शुभ मुहूर्त, समय और नक्षत्र
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Aaj Ka Panchang 16 December: आज धनु संक्रांति, पंचांग में जानिए आज का शुभ मुहूर्त, समय और नक्षत्र

सनातन परंपरा में जीवन पद्धति के लिए पंचांग व्यवस्था बनाई गई है. पंचांग के तहत ही हिंदू परिवार  अपने व्रत और त्योहार मनाते हैं. हर दिन की अलग तिथि होती है और उनका महत्व  भी अलग होता है. आज विक्रम संवत 2079 में पौष कृष्ण अष्टमी शुक्रवार है. 

 (फाइल फोटो)

पटनाः Aaj Ka Panchang 16 December 2022: सनातन परंपरा में जीवन पद्धति के लिए पंचांग व्यवस्था बनाई गई है. पंचांग के तहत ही हिंदू परिवार  अपने व्रत और त्योहार मनाते हैं. हर दिन की अलग तिथि होती है और उनका महत्व  भी अलग होता है. आज विक्रम संवत 2079 में पौष कृष्ण अष्टमी शुक्रवार है. आज अष्टमी तिथि पूरे दिन पर्यंत रहेगी. इसके साथ ही पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र प्रातः 7:30 तक रहेगा. इसके उपरांत उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र आरंभ हो जाएगा. आज सूर्योदय के समय प्रीति योग की स्थिति रहेगी. जो 7:47 प्रातः तक रहेगी. उसके उपरांत आयुष्मान योग आरंभ हो जाएगा. आज अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:02 से 12:43 तक रहेगा. आज विजय मुहूर्त दोपहर 2:07 से 2:50 तक है, और गोधूलि बेला का समय सायं 5:33 से 6:01 बजे तक है. आज राहुकाल प्रातः 11:04 से 12:22 तक रहेगा. आज धनु संक्रांति कालाष्टमी है.

आज का त्योहार, धनु संक्रांति
पंचांग के अनुसार आज धनु संक्रांति है. आज के दिन सूर्यदेव धनु राशि में प्रवेश कर रहे हैं. धनु राशि में प्रवेश करते ही सूर्य देव की गति धीमी हो जाती है. इस दिन से खरमास की शुरुआत हो जाती है. खर का अर्थ गधा होता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, सूर्य देव को किसी वजह से अपने घोड़ों को छोड़कर गधे को लेकर अपनी अनवरत यात्रा पर निकलना पड़ा था. इसलिए इसे खरमास कहा जाता है. आज सूर्यदेव से संबंधित उपाय करने से विशेष फल मिलेगा. 

खरमास में ये है वर्जित
खरमास में दान करने के महत्व को बताया गया है. कहते हैं कि दान करने से तीर्थ स्नान जितना पुण्य फल मिलता है. इन दिनों में कभी भी व्रत रखकर ईश्वरीय अनुष्ठान किए जाते हैं. जो भी व्रत किए जाते हैं, इस समय में उनका अक्षय फल मिलता है, इसके साथ ही अगर कोई दोष है तो वह खत्म हो जाते हैं. खरमास में फल प्राप्ति की कामना से होने वाले सभी कार्य जैसे- किसी भी प्रयोजन के व्रत-उपवास की शुरुआत, उद्यापन, कर्णवेध, मुंडन, यज्ञोपवीत, गुरुकुल से विदाई, विवाह और प्रथम तीर्थ यात्रा वर्जित है.

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