कहा जाता है कि एक जमाने में जिले के शुक्ला रोड के चतुर्भुज स्थान पर बड़े बड़े राजा-महाराजा अपने बच्चों को तहजीब सिखने के लिए भेजा करते थे. तब यहां कि पहचान कला और हुनर के लिए होती थी, लेकिन बदलते दौर में इस क्षेत्र पर बदनामी का दाग लग गया. हुनर और कला के मंदिर रूप में जाने जाना वाला ये स्थआन देह व्यापार के अड्डों में बदल गए.
बिहार के मुजफ्फरपुर में स्थित राज्य के सबसे बड़े और सबसे पुराना रेड लाइट एरिया चतुर्भुज स्थान का इतिहास बेहद गौरवशाली रहा है. इस क्षेत्र के पश्चिमी छोर पर चार भुजाओं वाले भगवान का मंदिर होने के कारण चतुर्भुज स्थान कहा गया हैं. वहीं सड़क के पूर्वी ओर भगवान शिव का गरीब स्थान मंदिर है.
इन दो मंदिरों के बीच करीब दो हजार परिवार परिवार रहते हैं. उनके पूर्वजों को कभी कला का उपासक माना जाता था और बड़े-बड़े राजाओं के दरबारों में अपना हुनर दिखाते थे. बड़े से बड़े राजा-महाराजा अपने बच्चों को इस स्थान पर तहजीब सिखने के लिए भेजा करते थे. लेकिन समय के साथ सबकुछ बदल गया और ये क्षेत्र बिहार का सबसे बड़ा देह व्यापार का अड्डा बन गया. चतुर्भुज स्थान को फिर लोग 'रेड लाइट' एरिया कहने लगे.
आलम ये है कि यहां रहने वाले करीब दो हजार परिवारों को ही शासन-प्रशासन शहर में बढ़ते अपराध की मुख्य वजह मानता है. हालांकि 1994 में पहली बार इस एरिया में सुधार का काम शुरू हुआ. जिसकी शुरुआत एड्स जागरूकता अभियान के तहत पूरे इलाके में कंडोम बांटने से की गई थी.
इस इलाके के बच्चों की शिक्षा के सरकार द्वारा आंगनवाड़ी केंद्र भी खोले गए. एक समय हालात ये थे कि चतुर्भुज स्थान में कोई मदद के लिए आना तो दूर इस ओर देखना भी पसंद नहीं करते थे. हालांकि समय के साथ इस वक्त की पहचान धीरे धीरे बदल रही है. और यहां के लोग अनय दूसर कामों में भी लग रहे हैं.
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