मधुबनी: बचपन में बिछड़ा बच्चा सालों बाद परिवार से मिला, इस नौजवान की कहानी पूरी फिल्मी है..
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मधुबनी: बचपन में बिछड़ा बच्चा सालों बाद परिवार से मिला, इस नौजवान की कहानी पूरी फिल्मी है..

11 साल का इम्तियाज आज 18 साल का नौजवान हो चुका है. मधुबनी के बाल गृह में सालों तक रहने के दौरान शायद ही इम्तियाज ने ये सोचा होगा कि फिर कभी वो अपने परिवार के बीच होगा.

बच्चा बड़ा होकर अपने परिवार से कैसे मिला ये अपने आप में एक कहानी है.

मधुबनी: सालों तक परिवार से दूर रहा इम्तियाज आखिरकार अपनों के बीच पहुंच गया. मधुबनी बाल कल्याण समिति ने काफी जद्दोजहद के बाद इम्तियाज के परिवार को खोज निकाला और 6 साल बाद एक बच्चे की जिंदगी को मुकम्मल कर दिया.  

11 साल का बच्चा 18 साल का नौजवान
11 साल का इम्तियाज आज 18 साल का नौजवान हो चुका है. मधुबनी के बाल गृह में सालों तक रहने के दौरान शायद ही इम्तियाज ने ये सोचा होगा कि फिर कभी वो अपने परिवार के बीच होगा. 2017 में परिवार से बिछड़ने के बाद इम्तियाज उज्जैन होता हुआ कैसे मधुबनी पहुंचा, ये अपने आप में एक कहानी है. 

छत्तीसगढ़ के सूरजपुर का रहने वाला है
इम्तियाज का परिवार छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले के विश्रामपुर गठिया पारा गांव का रहने वाला है. उसके पिता मोहम्मद शरीफ अंसारी के मुताबिक इम्तियाज, गांव के मदरसे में पढ़ाई करता था. एक दिन हमेशा की तरह वो घर से मदरसे के लिए निकला, लेकिन लौट कर घर नहीं आया. इम्तियाज के लापता होने के बाद उसके पिता ने स्थानीय थाने में 2017 में मामला दर्ज कराया था.

उज्जैन से मधुबनी लाया गया
कहा जा रहा है की पढ़ाई या शिक्षक के डर से इम्तियाज भाग निकला और ट्रेन से उज्जैन पहुंच गया. जहां वो पुलिस को मिला, पुलिस ने जब 11 साल के बच्चे से पूछताछ शुरू की तो इम्तियाज उस वक्त अपने घर का पूरा पता नहीं बता पाया. उसने सिर्फ इतना बताया उसका घर जयनगर के आसपास है. 

पुलिस ने पूछताछ के बाद इम्तियाज को उज्जैन बाल गृह भेज दिया. वहां से इम्तियाज को बिहार के मधुबनी जिले के जयनगर भेज दिया गया, क्योंकि पुलिस को लगा की जिस जयनगर की बात इम्तियाज कर रहा है, वो बिहार के मधुबनी जिले का जयनगर है.

आधार कार्ड ने खोला मिलन का रास्ता
मधुबनी पहुंचने पर इम्तियाज को बाल गृह भेज दिया गया. अगले 6 साल तक इम्तियाज बाल कल्याण समिति की देख-रेख में रहा. अब इम्तियाज करीब 18 साल का हो चुका है, तो बाल कल्याण समिति ने उसे आत्मनिर्भर बनाने के लिए होटल मैनेजमेंट का डिप्लोमा कराने का फैसला किया, और इसके लिए उसे बैंगलुरु भेजने की तैयारी की जा रही थी. 

पढ़ाई के लिए कागजातों की जरुरत होती है, लिहाजा जब इम्तियाज का आधार कार्ड (Aadhaar Card) बनाया जा रहा था, तो पता चला उसका कार्ड पहले ही बन चुका है. इसके बाद आधार कार्ड के डीटेलस को ट्रेस किया गया. जिसके आधार पर इम्तियाज के घर का पता मिल गया. बाल कल्याण समिति के जरिये इम्तियाज के माता-पिता तक सूचना पहुंचायी गयी. 

छत्तीसगढ़ से परिवार पहुंचा मधुबनी
इम्तियाज का ननिहाल बिहार के औरंगाबाद जिले में है. लिहाजा इम्तियाजा के माता-पिता उसके मामा को लेकर छत्तीसगढ़ पुलिस के साथ मधुबनी के बाल कल्याण समिति पहुंचे. वहां इम्तियाज को देखकर माता-पिता भाव-विभोर हो गए. 6 साल बाद अपने लाड़ले को सामने देखकर सभी की खुश का ठिकाना नहीं था. बाल कल्याण समिति ने कागजी प्रक्रिया पूरी कर इम्तियाज को उसके परिजनों को सौंप दिया है. 

बाल कल्याण समिति की हो रहा सराहना
6 साल बाद अपने परिवार से इम्तियाज के मिलन के बाद हर कोई मधुबनी बाल कल्याण समिति की कोशिश की सराहना कर रहा है. वैसे ये पहली बार नहीं है, जब मधुबनी बाल कल्याण समिति ने किसी को अपनों से मिलाया हो. समिति अभी तक दर्जन भर खोए बच्चों को उसके परिवार से मिला चुका है. 

(इनपुट-बिंदू भूषण)

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