Diwali 2022: कोरोना के 3 साल बाद बाजारों में रौनक लौटी है. बिहार के बगहा में लक्ष्मी पूजा और दीपोत्सव से पूर्व एक और कुम्हार मिट्टी के दिये और पूजा वाले बर्तन बनाने के साथ बाजारों में देसी पूजा सामग्रियों को सजाने में जुटे हैं.
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बगहाः Diwali 2022: कोरोना के 3 साल बाद बाजारों में रौनक लौटी है. बिहार के बगहा में लक्ष्मी पूजा और दीपोत्सव से पूर्व एक और कुम्हार मिट्टी के दिये और पूजा वाले बर्तन बनाने के साथ बाजारों में देसी पूजा सामग्रियों को सजाने में जुटे हैं तो वहीं दीपावली से पूर्व किन्नरों की टोली शहर में घूम-घूमकर दुकानदारों से मिल रही है.
बाजारों में लौटी रौनक
ऐसा माना जाता है कि किन्नरों की दुआ शुभ फलदायक होती है. धन धान्य की समृद्धि के लिए हर वर्ग के लोग इनका आशीर्वाद लेते हैं. इस वर्ष कोरोना के लंबे इंतजार और 3 वर्षों के बाद बाजारों में रौनक लौटी है. लिहाजा मधुबाला किन्नर के नेतृत्व में लोग एक दूसरे से मिलकर खुशियां बांट रहे हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि इन किन्नरों की कई लोग देवता व देवी के रूप में पूजा अर्चना कर रहे हैं तो कहीं इन्हें बतौर चढ़ावा नेक देकर लोग आशीर्वाद ले रहे हैं. ताकि सुख, समृद्धि और खुशहाली उनके जीवन में बनी रहे.
इसी दौरान मधुबाला उर्फ हिना किन्नर ने शहर वासियों से दीपावली मिलन भेंट कर भरपूर प्यार बांटा और चंपारण समेत सीमाई इलाकों में अमन चैन की दुआएं दी है. बता दें कि परंपरागत तरीके से किन्नरों की टोली आज भी लोगों के यहां पर्व, त्योहार या संतान प्राप्ति समेत शादी विवाह के मौके पर नृत्य संगीत की प्रस्तुति कर नेक लेने पहुंचती हैं और लोग उन्हें खुश कर उनकी दुआएं लेने में कोई कोई कसर बाकी नहीं छोड़ते हैं.
कोई उपहार, तो कोई वस्त्र और मिठाईयां तो कोई गहने आभूषण समेत नगदी भेंटकर आशीर्वाद लेने में जुटा है क्योंकि अर्धनारीश्वर की पूजा अर्चना और चढ़ावे की परंपरा पौराणिक मान्यताओं से जुड़ी हुई है. इसी कारण हमारे समाज में कभी कभी थर्ड जेंडर आज भी ऐसे अवसरों पर आमंत्रित कर सम्मानित भी किए जाते हैं, तो लोक नृत्य संगीत के जरिए नेक मांगना इनका पेशा बन गया है. इधर बीजेपी राज्यसभा सांसद सतीश चंद्र दुबे और सदर विधायक रामसिंह ने भी लोगों से क्षेत्रीय व स्थानीय पारंपरिक सामग्रियों के उपयोग की अपील कर रहे हैं.
(इनपुट-इमरान अजीजी)
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