मुजफ्फरपुर के औराई में बागमती की धारा में बहा चचरी पुल, लोगों की बढ़ी मुश्किल
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मुजफ्फरपुर के औराई में बागमती की धारा में बहा चचरी पुल, लोगों की बढ़ी मुश्किल

सरकारी व्यवस्थाओं का पोल खुल गया लोग अपने गांव से बाजार आने और घर जाने के लिए मात्र एक सहारा नाव ही दिखा और वह भी उस बागमती नदी के घाट पर मात्र एक नाव नजर पड़ा, जहां कई महिलाएं और पुरुष अपने घर जाने के लिए उस नाव का इंतजार कर कर रहे थे.

मुजफ्फरपुर के औराई में बागमती की धारा में बहा चचरी पुल, लोगों की बढ़ी मुश्किल

मुजफ्फरपुर: मुजफ्फरपुर जिला के औराई प्रखंड क्षेत्र के बागमती नदी में नेपाल से अचानक आई पानी से जलस्तर में बढ़ोतरी से बागमती नदी पर ग्रामीणों के चंदा इकट्ठा कर बनाए गए चचरी पुल बागमती नदी के धार में बह गया. जिससे लोगों का जिला मुख्यालय और औराई प्रखंड मुख्यालय जाने के लिए परेशानी बढ़ गया है, अब जिला मुख्यालय जाने के लिए 40 से 50 किलोमीटर और प्रखंड मुख्यालय के लिए जहां पहले 3 किलोमीटर दूरी तय करना पड़ता था,लेकिन 30 से 35 किलोमीटर की दूरी तय करना पड़ता है. वह भी लोगों को नाव के सहारे बागमती नदी को पार करने के बाद जाना पड़ता है. जिससे लोगों की परेशानी बढ़ गई है.

बता दें कि सरकारी व्यवस्थाओं का पोल खुल गया लोग अपने गांव से बाजार आने और घर जाने के लिए मात्र एक सहारा नाव ही दिखा और वह भी उस बागमती नदी के घाट पर मात्र एक नाव नजर पड़ा, जहां कई महिलाएं और पुरुष अपने घर जाने के लिए उस नाव का इंतजार कर कर रहे थे. ग्रामीणों ने कहा की हजारों ग्रामीणों का आने जाने का मात्र एक सहारा चचरी पुल था. वह भी बागमती की धारा में बह गया और अब नाव से ही आना जाना परेगा. जब चुनाव आता है तो नेता आते हैं तो कहते हैं आप मुझे वोट देकर जीताइए हम इस गांव में पुल बनवा देंगे, लेकिन वोट लेने के बाद कोई नेता पूछने तक नहीं आता है और ग्रामीणों के सहयोग से हम लोग चचरी पुल का निर्माण करके आना-जाना करते हैं. 

लेकिन यहां के लोगों के लिए यह एक अभिशाप है की मानसून आते ही यहां के लोग 4 महीने नाव का है सफर करने पर मजबूर होते हैं. कब नाव बागमती की धारा में बह जाएगी इसका पता नहीं चलता है. लोग जान जोखिम में डालकर बागमती नदी को पार करते हैं. सबसे बड़ी समस्या यह है कि मानसून के 4 महीने तक स्कूली बच्चों का पढ़ाई बंद हो जाता है, क्योंकि स्कूली बच्चे को नाव से आने जाने में डर लगता है. सबसे बड़ी बात है गांव में रहने वाले लोगों के परिवार में कोई अगर बीमार पड़ जाए तो एंबुलेंस भी उस गांव में नहीं पहुंच पाएगा अगर मरीज के शरीर में जान बची हुई है तो खाट के सहारे किसी तरह उसे डॉक्टर के पास पहुंचाया जाता है अगर ज्यादा इमरजेंसी हो तो उस गांव के बीमार व्यक्ति की मौत उसी गांव में हो जाएगी.

इनपुट- मणितोष कुमार

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