3 दिनों में पोस्टमार्टम के लिए पहुंचे 4 शव, पोस्टमार्टम सहायक के अभाव में सड़ते-गलते रहे
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3 दिनों में पोस्टमार्टम के लिए पहुंचे 4 शव, पोस्टमार्टम सहायक के अभाव में सड़ते-गलते रहे

बगहाः बड़ी खबर बगहा से है जहां अनुमंडलीय अस्पताल में विभागीय स्तर पर पोस्टमार्टम के लिए पोस्टमार्टम सहायक की बहाली नहीं होने के कारण यूपी, नेपाल और बिहार सीमा क्षेत्र से अस्पताल पहुंचे शवों का पोस्टमार्टम समय से नहीं हो पाता है.

(फाइल फोटो)

बगहाः बड़ी खबर बगहा से है जहां अनुमंडलीय अस्पताल में विभागीय स्तर पर पोस्टमार्टम के लिए पोस्टमार्टम सहायक की बहाली नहीं होने के कारण यूपी, नेपाल और बिहार सीमा क्षेत्र से अस्पताल पहुंचे शवों का पोस्टमार्टम समय से नहीं हो पाता है. यही वजह है कि कभी शव पानी में पड़े रहते हैं तो कभी टायर गाड़ी पर, क्योंकि यहां कोई मोर्चरी वाहन और ढंग का कमरा तक उपलब्ध नहीं है. लिहाजा अस्पताल में अक्सर इंसानियत शर्मसार होती है और स्वास्थ्य विभाग मूकदर्शक बना हुआ रहता है. 

प्राइवेट पोस्टमार्टम सहायक के भरोसे चल रहा पोस्टमार्टम का काम 
दरअसल नेपाल और यूपी सीमा पर स्थित बिहार के बगहा अनुमंडल अस्पताल में महज एक प्राइवेट पोस्टमार्टम सहायक मल्लू बासफोड़ के भरोसे यहां पोस्टमार्टम का कार्य पूरा किया जाता है जो अक्सर गायब रहता है या फिर औने-पौने दर निर्धारित कर शवों का सौदा करता है. इतना ही नहीं सबसे बड़ी बात यह है कि मल्लू डोम अक्सर शराब के नशे में चूर होकर ड्यूटी करता है, नतीजतन चिकिसक भी उसके साथ पोस्टमार्टम करने से कतराते हैं. ऐसी परिस्थितियों में कभी भी यहां किसी शव का पोस्टमार्टम शाम के बाद नहीं होता है. 

4 शवों को पोस्टमार्टम के लिए कई दिनों से रखा गया है
ऐसा ही नजारा आज फिर अनुमण्डल अस्पताल में दिखा जब एक साथ 4 शवों को पोस्टमार्टम के लिए कई दिनों से रखे जाने का खुलासा खुद मृतकों के परिजनों के साथ-साथ डीएस अशोक तिवारी ने भी किया. पुलिस, प्रशासन व जनप्रतिनिधियों द्वारा कोई ठोस पहल नहीं होने के कारण आज यह अस्पताल सुविधाओं के लिए तरस रहा है. जिससे शव लेकर पोस्टमार्टम कराने पहुंचे पुलिस कर्मी व अन्य लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ताज़ा उदाहरण बगहा के विभिन्न थानों से तीन दिनों से पोस्टमार्टम के लिए अनुमण्डल अस्पताल पहुंचे ये 4 शव हैं. 

बताया जा रहा है कि पिछले 3 दिनों में अनुमंडलीय अस्पताल में विभिन्न क्षेत्रों से ये चार शव पोस्टमार्टम के लिए लाए गए हैं, लेकिन पोस्टमार्टम सहायक के अभाव में अब तक इन शवों का पोस्टमार्टम नहीं किया जा सका है. 

इधर बगहा अनुमण्डल अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ एके तिवारी ने बताया कि कल रक्षाबंधन के कारण पोस्टमार्टम नहीं हो सका और परसों मोल जोल अर्थात शवों के सौदेबाजी में शाम ढल गई. पोस्टमार्टम सहायक अत्यधिक शराब पिए हुए था जिसके कारण कल उससे पोस्टमार्टम नहीं कराया गया. 

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अब सवाल यह उठता है कि जब बिहार में शराबबंदी है तो फिर पोस्टमार्टम सहायक को पीने के लिए बगहा में शराब कहां से उपलब्ध हो रहा है और चिकिसक बगैर मल्लू के पोस्टमार्टम क्यों नहीं करते हैं. सवाल यह भी है कि आखिर नव निर्मित लाखों के भवन में शवों को क्यों नहीं रखा जाता है और यहां कोई नियमित पोस्टमार्टम कर्मी के अलावा मॉर्चरी क्यों नहीं उपलब्ध कराया जाता है. आखिर बिहार का हेल्थ सिस्टम इतना लाचार और मजबूर क्यों है. 

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