Lok Sabha Election 2024: नीतीश आए तो उड़ गए 'मोदी के हनुमान'! कुशवाहा के भी दिल नहीं मिले
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Lok Sabha Election 2024: नीतीश आए तो उड़ गए 'मोदी के हनुमान'! कुशवाहा के भी दिल नहीं मिले

Bihar NDA News: पीएम मोदी की रैली में मंच पर बीजेपी और जेडीयू नेताओं के अलावा हम संरक्षक जीतन राम मांझी और केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस भी मौजूद थे. पारस गुट के ही सांसद प्रिंस राज भी मंच पर मौजूद थे. लेकिन एनडीए में शामिल राष्ट्रीय लोकमोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा का कहीं अता-पता नहीं था. तो वहीं खुद को 'मोदी का हनुमान' कहने वाले चिराग पासवान भी नदारद थे.

पीएम मोदी

Bihar NDA News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार (2 मार्च) को बिहार में लोकसभा चुनाव का बिगुल फूंक दिया. पीएम मोदी तकरीबन 20 महीने बाद बिहार पहुंचे थे. बिहार की औरंगाबाद रैली में पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार के बीच जुगलबंदी साफ देखने को मिली. रैली में प्रधानमंत्री जैसे ही मंच पर पहुंचे तो विशालकाय माला से उनका स्वागत किया गया. बिहार के डिप्टी सीएम विजय सिन्हा, सम्राट चौधरी और केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय सहित मंच पर मौजूद सभी नेता मिलकर पीएम मोदी को माला पहना रहे थे. सीएम नीतीश कुमार भी पीएम मोदी को माला पहनाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री को खींचकर माला के अंदर कर लिया. हालांकि, इस दौरान एनडीए के दो साथी नदारद थे, जिससे सियासी पारा चढ़ गया है. 

पीएम मोदी की रैली में मंच पर बीजेपी और जेडीयू नेताओं के अलावा हम संरक्षक जीतन राम मांझी और केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस भी मौजूद थे. पारस गुट के ही सांसद प्रिंस राज भी मंच पर मौजूद थे. लेकिन एनडीए में शामिल राष्ट्रीय लोकमोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा का कहीं अता-पता नहीं था. तो वहीं खुद को 'मोदी का हनुमान' कहने वाले चिराग पासवान भी नदारद थे. ये दोनों नेता ना सिर्फ पीएम की रैलियों से गायब रहे, बल्कि मोदी के बिहार आगमन पर भी खामोश रहे. दोनों की ओर से सोशल मीडिया पर भी प्रधानमंत्री के स्वागत को लेकर एक भी शब्द नहीं कहे गए. 

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सियासी गलियारों में चर्चा है कि एनडीए में सबकुछ सामान्य नहीं है. चर्चा है कि नीतीश कुमार की तो वापसी हो गई है, लेकिन अब चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा खिसक सकते हैं. दरअसल, चिराग और कुशवाहा दोनों ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कड़े आलोचक माने जाते हैं. राजनीतिक पंडितों का कहना है कि नीतीश कुमार ने चिराग का पॉलिटिकल करियर खत्म करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी. नीतीश के कारण ही चिराग को एनडीए से बाहर किया गया था. इतना ही नहीं मुख्यमंत्री ने ही लोजपा को दो हिस्सों में बांटने का काम किया था. वहीं कुशवाहा ने तो नीतीश कुमार के विरोध में ही जेडीयू छोड़कर अपनी अलग पार्टी बनाई थी. 

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सियासी जानकारों का कहना है कि नीतीश कुमार की रीएंट्री से एनडीए में चिराग और कुशवाहा की वैल्यू कम हो गई है. अब बीजेपी के व्यवहार में भी बदलाव देखने को मिल रहा है. पहले दोनों डायरेक्ट पीएम मोदी और अमित शाह से डील करते थे, लेकिन अब नित्यानंद राय तक ही पहुंच देखने को मिल रही है. दूसरी ओर एनडीए में नीतीश की वापसी का सीधा प्रभाव चिराग और कुशवाहा पर पड़ना तय माना जा रहा है. माना जा रहा है कि पहले जो डील हुई थी, अब परिस्थितियां बदलने से सीट शेयरिंग का पेंच सुलझ नहीं रहा है. 

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