Lok Sabha Election 2024: पीएम मोदी को जीत पसंद है... 2019 में जिनको मिली हार, उन्हें 2024 में नहीं मिला मौका
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Lok Sabha Election 2024: पीएम मोदी को जीत पसंद है... 2019 में जिनको मिली हार, उन्हें 2024 में नहीं मिला मौका

Lok Sabha Election 2024: पीएम मोदी ने इस बार भाजपा के लिए 370 पार और एनडीए के लिए 400 पार सीटों का लक्ष्य तय किया है और इसे पाने के लिए पार्टी कोई कोताही नहीं बरतना चाहती है. यही कारण है कि सिंहभूम में गीता कोड़ा को पार्टी में लाकर उन्हें उम्मीदवार बनाया गया है तो राजमहल में प्रत्याशी बदलकर मजबूत प्रत्याशी उतारा गया है.

नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री

Lok Sabha Election 2024: वैसे तो जीत सभी को पसंद होती है, लेकिन अगर पार्टियों के लेवल पर देखें तो पूर्व में कई दलों ने या फिर खुद भाजपा ने कई ऐसे प्रत्याशियों को मौका दिया है, जो पिछले कई चुनाव हार चुके थे. पर यह मोदी की भाजपा है और यह कोई भी सीट हारने के लिए नहीं लड़ती और जीतने के लिए जी जान लगा देती है. अब झारखंड को ही देख लीजिए... 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को केवल 2 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था और 2024 में पार्टी ने इन दोनों सीटों पर प्रत्याशी बदल दिए हैं. झारखंड की 14 में से 11 सीटों पर पार्टी ने प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है और उनमें कई बदलाव किए हैं पर वे दोनों प्रत्याशी बदल दिए गए हैं, जो 2019 में हार गए थे.

बात करते हैं राजमहल सीट की. इस सीट पर 2019 के चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा के विजय कुमार हंस्डक को 5 लाख 7 हजार 830 वोट हासिल किए थे और उनके प्रतिद्वंद्वी भारतीय जनता पार्टी के हेमलाल मुर्मू को 4 लाख 8 हजार 635 वोट मिले थे. भाजपा के हेमलाल मुर्मू हार गए थे और पार्टी ने उन्हें इस बार टिकट नहीं दिया है. उनके बदले राजमहल सीट से पार्टी ने ताला मरांडी को मैदान में उतारा है. 

अब बात करते हैं दूसरी हारने वाली सीट सिंहभूम की. यहां से कांग्रेस की उम्मीदवार गीता कोड़ा को 4 लाख 31 हजार 815 वोट मिले थे तो भारतीय जनता पार्टी से मैदान में उतरे लक्ष्मण गिलुआ को 3 लाख 59 हजार 660 वोट हासिल हुए थे. लक्ष्मण गिलुआ, कांग्रेस की गीता कोड़ा से हार गए थे. इस बार प्रत्याशियों की घोषणा हुई तो सूची से लक्ष्मण गिलुआ का नाम भी नदारद था. 

मतलब साफ है... पीएम मोदी ने इस बार भाजपा के लिए 370 पार और एनडीए के लिए 400 पार सीटों का लक्ष्य तय किया है और इसे पाने के लिए पार्टी कोई कोताही नहीं बरतना चाहती है. यही कारण है कि सिंहभूम में गीता कोड़ा को पार्टी में लाकर उन्हें उम्मीदवार बनाया गया है तो राजमहल में प्रत्याशी बदलकर मजबूत प्रत्याशी उतारा गया है.

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