Jharkhand State Tree: झारखंड का राजकीय वृक्ष सखुआ (साल) है, जो कई उपयोगिताओं के लिए खास माना जाता है. इसके पेड़ पर इन दिनों सरई का फल देखने को मिल रहा है. सरई का फल को चुनने के लिए ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं दिनभर आसपास के जंगलों में नजर आती हैं.
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Hazaribagh: झारखंड की पहचान यहां की जंगल हरियाली और यहां के वातावरण से होती है. झारखंड का राजकीय वृक्ष सखुआ (साल) है, जो कई उपयोगिताओं के लिए खास माना जाता है. बताते चले कि इन दिनों हजारीबाग के ग्रामीण क्षेत्रों में यह सखुआ (साल) का वृक्ष जीविकोपार्जन का साधन बन गया है. महिलाएं बताती हैं कि दिनभर सरई फल की चुनाई कर इसे साफ करने के बाद 15 से 20 रुपए प्रति किलो के दर से व्यापारी और बाजारों में बेचा जाता है.
इन दिनों सरई का फल देखने को मिल रहा
दरअसल, सखुआ (साल) पेड़ पर इन दिनों सरई का फल देखने को मिल रहा है. सरई का फल को चुनने के लिए ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं दिनभर आसपास के जंगलों में नजर आती हैं.
व्यापारी और बाजारों में बेचा जाता है फल
महिलाएं बताती हैं कि दिनभर सरई फल की चुनाई कर इसे साफ करने के बाद 15 से 20 रुपए प्रति किलो के दर से व्यापारी और बाजारों में बेचा जाता है. जिससे उनकी आमदनी में भी बढ़ोतरी होती है. यह सरई का फल हजारीबाग से झारखंड के अन्य जिले के अलावे बिहार, बंगाल और मध्य प्रदेश के लिए भी निर्यात किया जाता है.
कई उपयोगिताओं के लिए माना जाता है खास
इसकी उपयोगिता की बात करें तो कई औषधि दवाइयां के अलावे, फल से तेल निकालना और साबुन बनाने का भी काम आता है. इतना ही नहीं बल्कि कई बीमारियों के लिए सरई फल काफी खास माना जाता है.
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सरई फल पेड़ में उगने का वर्षो से इंतजार रहता
ग्रामीण बताते हैं कि सरई फल पेड़ में उगने का वर्षो से इंतजार रहता है और फल उग आने के बाद कुछ महीनों के लिए आमदनी का एक अच्छा स्रोत भी माना जा रहा है.
रिपोर्ट: यादवेंद्र मुन्नू