Lok Sabha Chunav 2024: गढ़वा के मतदाता 35 साल बाद पहली बार ईवीएम पर रखेंगे अंगुलियां और करेंगे मतदान
Advertisement
trendingNow0/india/bihar-jharkhand/bihar2212309

Lok Sabha Chunav 2024: गढ़वा के मतदाता 35 साल बाद पहली बार ईवीएम पर रखेंगे अंगुलियां और करेंगे मतदान

Lok Sabha Chunav 2024: यह इलाका आज भी इतना दुर्गम है कि यहां तक सवारी गाड़ियां नहीं पहुंचतीं. एक तरफ झारखंड और दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ को बांटने वाला बूढ़ा पहाड़ माओवादी नक्सलियों का सबसे बड़ा और सबसे सुरक्षित पनाहगाह रहा है.

Lok Sabha Chunav 2024: गढ़वा के मतदाता 35 साल बाद पहली बार ईवीएम पर रखेंगे अंगुलियां और करेंगे मतदान

गढ़वा: झारखंड के जिस बूढ़ा पहाड़ इलाके में नक्सलियों की हुकूमत चलती थी, वहां करीब 35 साल बाद हजारों वोटर पहली बार ईवीएम के बटन पर अंगुलियां रखेंगे. शुक्रवार को राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के. रवि कुमार ने खुद बाइक पर मीलों का सफर तय कर इस इलाके का दौरा किया और यहां चुनाव की तैयारियों का जायजा लिया.

बता दें कि यह इलाका आज भी इतना दुर्गम है कि यहां तक सवारी गाड़ियां नहीं पहुंचतीं. एक तरफ झारखंड और दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ को बांटने वाला बूढ़ा पहाड़ माओवादी नक्सलियों का सबसे बड़ा और सबसे सुरक्षित पनाहगाह रहा है. उन्होंने बारूदी सुरंगों और हथियारबंद दस्तों के साथ इलाके की इस तरह घेराबंदी कर रखी थी कि पुलिस और सुरक्षाबलों के लिए यहां पहुंचना मुश्किल था. यहां रहने वाली तकरीबन 20 हजार की आबादी नक्सलियों का हर हुक्म मानने को मजबूर थी. ऐसे में उनके लिए भला क्या चुनाव और क्या वोट है. इस बार पूरे इलाके में बदलाव की सुखद बयार है. सुरक्षा बलों और पुलिस की ओर से चलाए गए 'ऑपरेशन ऑक्टोपस' की बदौलत पूरे 32 सालों के बाद 2022 के अगस्त-सितंबर महीने में बूढ़ा पहाड़ को नक्सलियों से आजाद करा लिया गया. नक्सलियों को खदेड़ने के बाद 16 सितंबर, 2022 को इस पहाड़ पर पहली बार एयरफोर्स का एमआई हेलीकॉप्टर उतारा गया था और तभी एक तरह से बूढ़ा पहाड़ में 'नई आजादी' का ऐलान हुआ था.

पीएम मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सुरक्षा बलों द्वारा बूढ़ा पहाड़ फतह करने को बड़ी कामयाबी बताया था. अब, इस पहाड़ की तमाम चोटियों पर पुलिस का कैंप है. इलाके में सुरक्षाबलों की कुल 40 कंपनियों की तैनाती है. 55 वर्ग किलोमीटर में फैले और झारखंड के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के जंगलों से घिरे पहाड़ और उसके आस-पास के गांवों के लोगों की जिंदगी पिछले डेढ़ वर्षों में काफी बदल गई है. यहां के बच्चे पुलिस और सुरक्षाबलों की ओर से चलाई जाने वाली सामुदायिक पाठशालाओं में पढ़ाई करते हैं.

ग्रामीणों में भी नक्सलियों की बंदूकों का खौफ नहीं है. पहाड़ की तराई में स्थित कुटकू गांव के प्रताप तिर्की कहते हैं कि इस बार सैकड़ों लोग पहली बार वोट डालेंगे. हालांकि, मतदान केंद्र अब भी काफी दूर है. झारखंड की राजधानी रांची से करीब डेढ़ सौ किलोमीटर दूर लातेहार के गारू प्रखंड के सुदूर गांवों से शुरू होने वाला यह पहाड़ इसी ज़िले के महुआडांड़, बरवाडीह होते हुए दूसरे ज़िले गढ़वा के रमकंडा, भंडरिया के इलाके में फैला है. पहाड़ की दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ का इलाका है.

झारखंड में पहाड़ का जो हिस्सा आता है, वह दो संसदीय क्षेत्रों में बंटा है- पलामू और चतरा है. पलामू लोकसभा क्षेत्र में आने वाले गांवों के लोग 13 मई और चतरा के अंतर्गत आने वाले इलाके के लोग 20 मई को वोट डालेंगे. बूढ़ा पहाड़ इलाके में गांवों की कुल संख्या 27 है, जो 89 टोलों में बंटे हुए हैं. कुल आबादी 19 हजार 836 है. मतगड़ी, टेहरी, तुरेर, तुबेग, कुटकू, चेमो, सान्या, झालूडेरा, बहेराटोली सहित तमाम गांवों को मिलाकर वोटरों की तादाद करीब चार हजार है. इनमें ज्यादातर लोग आदिवासी और दलित समुदाय के हैं.

सैकड़ों लोगों के वोटर कार्ड पहली बार बने हैं. हालांकि, मतदान केंद्रों तक पहुंचने के लिए अब भी लोगों को मीलों की दूरी तय करनी होगी. राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के. रवि कुमार ने बूढ़ा पहाड़ इलाके का दौरा करने के बाद गढ़वा में पत्रकारों से बात करते हुए लोगों से भयमुक्त होकर मतदान करने की अपील की. उन्होंने कहा कि आयोग की निगरानी में पुलिस-प्रशासन ने सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए हैं. बाद में मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी और राज्य के पुलिस नोडल पदाधिकारी एवी होमकर ने गढ़वा जिला मुख्यालय में अफसरों के साथ बैठक कर चुनावी तैयारियों को लेकर आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिए.

इनपुट- आईएएनएस

ये भी पढ़िए-  Tulsi Benefits: ये छोटा सा पत्ता आपकी त्वचा को बना देगा चमकदार, झुर्रियां भी होगी दूर

 

Trending news