Vishnupad Mandir: जानें विष्णुपद मंदिर में कैसे छपे भगवान के पदचिह्न
Advertisement
trendingNow0/india/bihar-jharkhand/bihar1316055

Vishnupad Mandir: जानें विष्णुपद मंदिर में कैसे छपे भगवान के पदचिह्न

Vishnupad Mandir: विष्णुपद मंदिर का निर्माण कसौटी पत्थर से किया गया है. मंदिर में भगवान विष्णु के पदचिह्न हैं. जिसके दर्शन मात्र से ही समस्त दुखों से मुक्ति मिलती है.  

Vishnupad Mandir: जानें विष्णुपद मंदिर में कैसे छपे भगवान के पदचिह्न

गया: बिहार के गया जिले में फल्गु नदी के किनारे पर स्थित विष्णुपद मंदिर का इतिहास काफी पुराना है. गया तीर्थ सनातन धर्म के लिए काफी महत्वपूर्ण और अद्भुत तीर्थ है. हालांकि गया तीर्थराज प्रयाग, ऋषिकेश और वाराणसी की ही तरह सात पुरियों में शामिल तो नहीं है, लेकिन इस स्थान को स्वर्ग का द्वार माना जाता है. पितृपक्ष के अवसर गया में पितरों को तर्पण आदि देने के लिए देश के साथ-साथ विदेशों से भी लोग आते हैं. ऐसा मान्यता है कि सर्वपितृ अमावस्या के दौरान पितरों को पानी गया जी में देने से उन्हें तृप्ती मिलती है और वो बैकुंठ पहुंचते हैं. 

रामायण में मंदिर का वर्णन
गया में स्थित भगवान विष्णु का मंदिर अपनी युगों पुरानी दिव्यता लिए आज भी मौजूद है. इस पवित्र तीर्थ मंदिर को श्री विष्णु पद मंदिर कहा जाता है. मंदिर में भगवान विष्णु के पदचिह्न होने के कारण इसे विष्णुपद मंदिर कहा जाता है.  रामायण में भी इस मंदिर का वर्णन है. धर्म का आधार होने के कारण इस मंदिर को धर्मशिला के नाम से भी जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि पितरों के तर्पण करने के बाद इस मंदिर में स्थित भगवान विष्णु के चरणों के दर्शन करने से समस्त दुखों से मुक्ति मिलती है. 

सोना कसने वाले कसौटी से बना मंदिर
वर्तमान में स्थित इस मंदिर का निर्माण इंदौर की महारानी अहिल्याबाई ने कराया था. विष्णुपद मंदिर का निर्माण सोने को कसने वाले पत्थर कसौटी से बनाया गया है, जिसे जिले के अतरी प्रखंड में स्थित पत्थरकट्टी से लाया गया था. इस मंदिर की ऊंचाई करीब सौ फीट है. मंदिर के सभा में मंडप कुल 44 पिलर हैं. इस मंदिर की भव्यता और वैभव देखते ही बनती है. 

ये भी पढ़ें- 'विष्णुपद मंदिर' में सीएम नीतीश के साथ पहुंचे मंत्री इसराइल मंसूरी, गंगा जल से धोया गया गर्भगृह

शिला पर कैसे छपे श्री हरि के चरण
मंदिर के अंदर स्थित श्री हरि के चरण चिह्न को लेकर एक पावन कथा है. कहते हैं कि भगवान विष्णु ने राक्षस गयासुर को नियंत्रित करने के लिए शिला रखकर उसे दबाया था. इसी क्रम में उनके चरण शिला पर छप गए. विष्णुपद मंदिर में ऋषि मरीची की पत्नी माता धर्मवत्ता की शिला पर भगवान विष्णु का चरण चिह्न है. राक्षस गयासुर को स्थिर करने के लिए माता धर्मवत्ता शिला को धर्मपुरी से लाया गया था, भगवान विष्णु ने जिसे गयासुर पर रख कर अपने पैरों से दबाया. इसके बाद शिला पर भगवान के चरण छप गए. बता दें कि विश्व में विष्णुपद मंदिर ही एकमात्र ऐसा स्थान है, जहां भगवान विष्णु के चरण के साक्षात दर्शन होते हैं. 

Trending news