Lok Sabha Election 2024: किन्नर समाज से आने वाली 35 वर्षीय सुनैना सिंह झारखंड में विकास के मुद्दे पर धनबाद सीट से चुनाव लड़ेंगी, जहां उनका मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार दुलू महतो से होगा.
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धनबाद: Lok Sabha Election 2024: किन्नर समाज से आने वाली 35 वर्षीय सुनैना सिंह झारखंड में विकास के मुद्दे पर धनबाद सीट से चुनाव लड़ेंगी, जहां उनका मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार दुलू महतो से होगा. धनबाद के पी के रॉय मेमोरियल कॉलेज से जीव विज्ञान में स्नातक सुनैना सिं Lok Sabha Election 2024: किन्नर समाज से आने वाली 35 वर्षीय सुनैना सिंह झारखंड में विकास के मुद्दे पर धन ह ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश स्थित नकी भारतीय एकता पार्टी (एनबीईपी) से अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की. धनबाद में 78 किन्नर मतदाताओं सहित 22.54 लाख मतदाता हैं और यहां 25 मई को मतदान होगा.
'मेरा एजेंडा स्पष्ट, मैं शिक्षा और रोजगार के लिए काम करना चाहूंगी'
विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ ('इंडिया') ने अभी तक इस सीट से अपने उम्मीदवार के नाम की घोषणा नहीं की है. सुनैना सिंह ने कहा कि “प्रमुख कोयला आपूर्तिकर्ता धनबाद में कोई विकास कार्य नहीं किया गया है. यहां हत्या और रंगदारी के मामले भी कई गुना बढ़ गए हैं. मेरा एजेंडा स्पष्ट है. मैं शिक्षा में सुधार और रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए काम करना चाहूंगी. धनबाद में बेरोजगारी दर अधिक है और पढ़े-लिखे युवाओं को भी नौकरी नहीं मिल रही है."
'मैं भ्रष्टाचार के खिलाफ भी लड़ना चाहती हूं'
उन्होंने आगे कहा कि,'मैं भ्रष्टाचार के खिलाफ भी लड़ना चाहती हूं, जो राज्य की प्रगति के रास्ते की प्रमुख बाधाओं में से एक है.' सुनेना सिंह ने आगे कहा कि शुरू में वह एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ना चाहती थीं, लेकिन बाद में चौधरी जरार अहमद नकी के नेतृत्व वाली नकी भारतीय एकता पार्टी ने उन्हें टिकट की पेशकश की. चुनाव के लिए खर्च के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि उनके समुदाय के लोग और आम जनता उन्हें चुनाव लड़ने के वास्ते प्रोत्साहित करने के लिए दान दे रही हैं.
'मेरे जन्म के बाद मेरे माता-पिता ने मुझे अस्पताल में छोड़ दिया'
'किन्नर मां ट्रस्ट' की जिला अध्यक्ष सिंह ने किन्नर समुदाय के खिलाफ भेदभाव पर भी नाराजगी व्यक्त की. उन्होंने कहा “मेरे जन्म के बाद मेरे माता-पिता ने मुझे अस्पताल में छोड़ दिया. हमारे समुदाय के प्रदेश अध्यक्ष ने उसके बाद मेरी देखभाल की... मैंने दिल्ली में नौकरी खोजने की कोशिश की, लेकिन बहुत भेदभाव का सामना करना पड़ा. मैं अंततः धनबाद लौट आई और निर्वाचन क्षेत्र के लोगों की सेवा करने का फैसला किया.”
इनपुट- भाषा के साथ
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